फ्लोराइड पानी में मिलने वाला तत्व है जिसकी अधिक मात्रा शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकती है.
आइए फ्लोराइड से जुड़ी हर तरह की जानकारी के बारे में जानें.
1-जल प्रदूषण में एक प्रमुख तत्व है फ्लोराइड देश के कई हिस्सों के भूजल में फ्लोराइड पाया जाता है. फ्लोराइड युक्त जल लगातार पीने से फ्लोरोसिस नाम की बीमारी होती है. इससे हड्डियां टेढ़ी, खोखली और कमजोर होने लगती है.
2-यह धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी में जमा होने लगता है. जिससे हमारी सामान्य दैनिक क्रियाएं भी प्रभावित होने लगती है. अपने पीने के जल स्रोतों को समय-समय पर परिक्षण कराते रहना चाहिए. इसमें किसी भी तरह का प्रदूषण घातक होगा.
3-आप जो पानी हैंडपंप, बोरवेल एवं गहरे पारंपरिक कुएं-बावड़ियों से ले रहे हैं, इनका पानी दिखने में साफ दिखाई देता हो, परंतु इनमें न दिखाई देने वाला "विषैला" रसायन फ्लोराइड हो सकता है. जब इसकी मात्रा पीने के पानी में 1 या 1.5 पीपीएम से अधिक हो, तो लंबी अवधि तक इसका सेवन करने पर यह किसी भी उम्र के स्त्री-पुरुष को अपने घातक असर का शिकार बना लेता है.
5-इसके विषैले प्रभाव दांतों एवं हडि्डयों में पहले एवं तेज गति से देखने को मिलते हैं. दांतों पर पड़ी हल्की गहरी आड़ी धारियां एवं धब्बे फ्लोराइड की पहचान है. इसके असर से हडि्डयां खोखली और कमजोर होने से टेढ़ी-मेढ़ी होने लगती हैं.
4-पीने के पानी के स्रोतों के जल में जल विभाग अथवा जल रसायन परीक्षण प्रयोगशाला से फ्लोराइड की उपस्थिति एवं इसकी मात्रा की जांच करवाएं. फ्लोराइड होने पर इन स्रोतों पर डिफ्लोराइडेशन प्लांट लगवाना चाहिए. भोजन में पत्तेदार हरी सब्जियां, दूध-दही, नीबू, आंवला, हरी फलियां इत्यादि का समावेश करें.
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