आधार को जहां भारत सरकार हर महत्वपूर्ण योजना से जोड़ रही है .वहीँ इसको लेकर राजनीति होती आई है एक बार फिर आधार को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और आईटी क्षेत्र के दिग्गज एन आर नारायणमूर्ति के बीच गरमा गरम बहस छिड़ गई. चिदंबरम ने जहां उदारवादी दृष्टिकोण के तहत इस पर चिंता जताई है .वहीं नारायणमूर्ति ने आधार की वकालत करते हुए निजता के संरक्षण के लिए संसद में कानून बनाने की वकालत की है.
आपको बता दें कि सरकार की ओर से हर चीज को आधार नंबर से जोड़ने के कदम की आलोचना शुरू से ही करते है लेकिन इस बार इसको लेकर चिदंबरम ने कहा कि सरकार इस बारे में हर चीज को अनसुना कर रही है. वो हर चीज को आधार से जोड़ना के खिलाफ कुछ भी सुनना नहीं चाहती है साथ ही यह भी कहा कि प्रत्येक लेनदेन के लिए आधार के इस्तेमाल के गंभीर परिणाम होंगे और इससे भारत ऐसे देश में तब्दील हो जाएगा जो समाज कल्याण की दृष्टि से घातक होगा. पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि यदि कोई युवा पुरुष और युवा महिला, बेशक शादीशुदा नहीं हैं और वो निजी छुट्टियों मनाना चाहते हैं, तो इसमें गलत क्या है? यदि किसी युवा व्यक्ति को कंडोम खरीदना है तो उसे अपनी पहचान या आधार नंबर देने की क्या ज़रूरत है?
वहीँ नारायणमूर्ति ने आईआईटी-बंबई के वार्षिक मूड इंडिगो फेस्टिवल को शुक्रवार को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी आधुनिक देश की तरह ड्राइविंग लाइसेंस के रूप में किसी भी व्यक्ति की पहचान स्थापित की जानी चाहिए. इसी के साथ ये भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह की पहचान से किसी की निजता का उल्लंघन न हो.
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