Video: डियर गर्ल फ्रॉम पाकिस्तान का वीडियो हुआ वायरल
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नई दिल्ली: कहते है युवा सोच किसी बात को लेकर मनमुटाव नहीं रखती और नफरत की बजाए प्यार फैलाने में यकीन करती है। भारत-पाकिस्तान के बीच भले ही सियासी जंग सदियों से चली आ रही हो, लेकिन दिल्ली की शिवानी ने दोनों देशों के बीच जिस खूबसूरत रिश्ते को संजोया है, उसे सुनकर आपका भी मन गदगद हो जाएगा।

शिवानी ने पाकिस्तान की एक अंजान लड़की के दर्द को कविताओं में पिरोया है, जिसका वीडियो यू-ट्यूब पर भी है। अच्छी बात ये है कि इसे भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में भी पसंद किया जा रहा है। कविता इतनी लोकप्रिय हो गई कि पाकिस्तान के प्रमुख अखबारों में से एक डॉन में लुआवत जाहिद नाम की जर्नलिस्ट ने इस बारे में रिपोर्टिंग की है।

शिवानी ने एक अनाम पाकिस्तानी लड़की से जो कुछ भी कहा है, वो उऩ सारी बातों से जुदा है जो आम तौर पर भारत-पाकिस्तान के बीच सुनी जाती है। कविता की शुरुआत शिवानी ने कुछ यूं किया-
देखो, यहां मैं लड़ाई शुरू करने के लिए नहीं हूं,,
मैं बस तुम्हे 'Hi' बोलने के लिए आई हूं,..
कैसी हो तुम?
और अंत में शिवानी जो कहती है वो भीतर तक झकझोर देगी आपको-
डियर गर्ल फ्रॉम पाकिस्तान,
मैं जानती हूं कि मुझे ऐसा करने में 69 साल लगे,
लेकिन मैं जानती हूं कि अब भी बहुत देर नहीं हुई,
भूल जाओ कि खबरों में क्या रहा,
मुझे बताओ, तुम्हारा दिन कैसा रहा?
और इस लाइन को पढ़ आप भी खुद को पूरी कविता पढ़ने से नहीं रोक पाएंगे।
"हमें जो चीज़ एक दूसरे से अलग करती है, वो है सरहद, जिसे हमने नहीं बनाया है..."

आगे शिवानी ने लिखा है कि खेद है जो लम्हें हम साथ नहीं बिता पाएं। मिल-जुल नहीं पाए। शिवानी ने कविता में भारत-पाक के बीच चलने वाली बसों का, फिल्मों का, गानों का जैसी कई चीजों का जिक्र करते हुए लिखा है कि ये हम दोनों के दिलों पर राज करती है। लुआवत ज़ाहिद ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि सोशल मीडिया के माध्यम से वो शिवानी से संपर्क करने में कामयाब रही हैं। लुआवत के मुताबिक वो भी शिवानी जैसी सोच रखती हैं और शिवानी से अंतर्संवाद करने लगी हैं।

शिवानी ने कविताएं लिखना 13 साल की उम्र में शुरू कर दिया था। उन्होंने 'डियर गर्ल फ्रॉम पाकिस्तान' दो साल पहले तब लिखी थी जब वो स्कॉटलैंड में रह रही थीं। वहां उन्हें अलग अलग देशों के बच्चों के साथ रहने का मौका मिला था। वहां शिवानी को एहसास हुआ कि सबकुछ तो एक जैसा ही है हमारी तरह हंसना, हमारी तरह रोना। इन इंसानी जज्बातों के सामने ये सियासी मुद्दे नग्णय प्रतीत होते है।

शिवानी का कहना है कि जिस जमीन को कभी मैंने देखा नहीं, उसके बारे में नकारात्मक सोचने की क्या वजह है। शिवानी का कहना है कि किसी व्यक्ति विशेष का सिर्फ उसकी भौगोलिक जगह, धर्म और ऐसी ही किसी और बात से आकलन करना, उनके हिसाब से जायज़ नहीं। लेकिन शिवानी यह भी कहती है कि बस यह कविता सही मायने के साथ पहुंच जाए, तो उन्हें बहुत खुशी होगी।

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