क्या आप जानते है सीताजी से जुडी ये बाते
क्या आप जानते है सीताजी से जुडी ये बाते
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भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र को बतातीं अलग-अलग भाषाओं में सैकड़ों रामायण लिखी गईं हैं. लेकिन तुलसीदास जी द्वारा अवधी भाषा में रचित 'श्रीरामचरितमानस' ही श्रेष्ठ मानी जाती है.इन दोनो में सबसे प्रमाणिक 'रामायण' को माना गया है. लेकिन इन दोनों ग्रंथों का अध्ययन करें तो पाएंगे कि इनमें भगवान श्रीराम की पत्नी सीता जी के बारे में कई अनसुनी और रोचक बातों लिखित हैं उन्हीं में से ये निम्न हैं.

वाल्मीकि रामायण में लिखा है, 'जब राजा जनक यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए भूमि को हल से जोत रहे थे, उसी समय उन्हें भूमि से एक कन्या प्राप्त हुई. हल की नुकीले हिस्से को सीत कहते हैं इससे टकराने पर स्वर्ग पेटी में सीता जी मिलीं इसलिए उनका नाम सीता रखा गया.'मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को श्रीराम और सीता का विवाह हुआ था. हर साल इस तिथि पर श्रीराम-सीता के विवाह, विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है. यह प्रसंग श्रीरामचरित मानस में मिलता है.

श्रीरामचरित मानस के अनुसार वनवास के दौरान श्रीराम के पीछे-पीछे सीता चलती थीं. चलते समय सीता इस बात का विशेष ध्यान रखती थीं कि भूल से भी उनका पैर श्रीराम के चरण चिह्नों (पैरों के निशान) पर न रखे जाएं. श्रीराम के चरण चिह्नों के बीच-बीच में पैर रखती हुई सीताजी चलती थीं.जिस दिन रावण सीता का हरण कर अपनी अशोक वाटिका में लाया. उसी रात भगवान ब्रह्मा के कहने पर देवराज इंद्र माता सीता के लिए खीर लेकर आए, पहले देवराज ने अशोक वाटिका में उपस्थित सभी राक्षसों को मोहित कर सुला दिया. उसके बाद माता सीता को खीर अर्पित की, जिसके खाने से सीता की भूख-प्यास शांत हो गई. ये प्रसंग वाल्मीकि रामायण में मिलता है जबकि श्रीरामचरितमानस में नहीं है.

दरवाजे के पास न रखे पलंग

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