भूकंप से 6000 KM तक बदल सकती है पृथ्वी की परत
भूकंप से 6000 KM तक बदल सकती है पृथ्वी की परत
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वाशिंगटन : एक नये अध्ययन में मालूम हुआ है की भूकंपों के कारण पृथ्वी की परत की विशेषता 6 ,000 KM दूर तक बदल सकती है। इसके चलते कुछ सप्ताह तक तनाव झेलने की क्षमता बदल सकती है। अध्ययन से यह बात सामने आई कि पृथ्वी एक गतिशील और आपस में जुटी प्रणाली है। विशेषज्ञो ने पाया कि इसके कारण हजारों किलोमीटर दूर प्रभावकारी घटनाएं हो सकती हैं।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी के पृथ्वी, वायुमंडलीय और ग्रहीय विज्ञान विभाग के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर और लास एलामास नेशनल लेबोरेटरी में एंड्रयू डेलोरे के नेतृत्व वाली अनुसंधान टीम के सदस्य कविन चाओ ने कहा, 'भूकंप से पृथ्वी की परत में 6000 KM दूर तक के क्षेत्र में लचीलापन क्षमता में मूलभूत बदलाव आ सकता है जिससे कुछ हफ्ते तक तनाव झेलने की उसकी क्षमता बदल सकती है।

चाओ ने कहा कि जब एक भूकंप की सतह तरंग एक अन्य फाल्ट क्षेत्र से गुजरती है तो यह सतहों को आपस में जुड़े रखने की घर्षण वाली विशेषताओं के संतुलन को बदल देती है। साथ ही वह लचीलापन भी बदल जाता है जिससे सतह तनाव को झेलती है। यह नया अध्ययन जर्नल साइंस एडवांसेस में प्रकाशित हुआ है। इसमें हिन्द महासागर के उत्तरी सुमात्रा तट पर 2012 में आये भूकंप का अध्ययन किया गया था। यह भूकंप 8.6 तीव्रता का है। इसके बाद जापान में दो भूकंप आये जिनकी तीव्रता 5.5 से अधिक थी।

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