ज्ञानवापी में सर्वे करने जुटी ASI की 4 टीमें, रोक लगवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुस्लिम पक्ष
ज्ञानवापी में सर्वे करने जुटी ASI की 4 टीमें, रोक लगवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुस्लिम पक्ष
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वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का ASI सर्वे आरम्भ हो गया। ASI की टीम ने प्रातः 7 बजे ज्ञानवापी परिसर पहुंचकर प्रक्रिया आरम्भ की। ASI को 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला न्यायालय को सौंपनी है। जिला जज एके विश्वेश ने शुक्रवार को मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था। उधर, मुस्लिम पक्ष ने इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। ASI की टीम में 43 सदस्य हैं। ASI की टीम के साथ 4 वकील भी उपस्थित हैं। यानी सभी पक्षों के एक एक वकील ज्ञानवापी परिसर में मौजूद हैं। इसके अतिरिक्त चार वादी महिलाएं भी सर्वे टीम के साथ ज्ञानवापी में मौजूद। 

सूत्रों के अनुसार, ASI ने चार अलग-अलग टीमें बनाई हैं तथा सभी टीमों ने अपनी कार्रवाई आरम्भ कर दी है। चारों टीमें अलग-अलग जगह पर सर्वे कर रही हैं, जिसमें एक टीम पश्चिमी दीवार के पास, 1 टीम गुंबदों की एक टीम मस्जिद के चबूतरे की और एक 1 टीम परिसर के सर्वे के लिए लगाई गई है। वही इस सर्वे के साथ एक और बड़ी बात यह है कि इसमें आवश्यकता पड़ने पर बिना ढांचे को नुकसान पहुंचाए हुए खुदाई की अनुमति दी गई है। दरअसल, अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था। इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में प्रतिदिन पूजा एवं दर्शन करने की इजाजत देने की मांग की थी। वही महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था। अदालत के आदेश पर पिछली वर्ष 3 दिन तक सर्वे हुआ था। सर्वे के पश्चात् हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था। दावा था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है। 

तत्पश्चात, हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी। सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। सर्वोच्च न्यायालय ने केस जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था। मुस्लिम पक्ष की तरफ से यह दलील दी गई थी कि ये प्रावधान के अनुसार और उपासना स्थल कानून 1991 के परिप्रेक्ष्य में यह वाद पोषणीय नहीं है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है। हालांकि, अदालत ने इसे सुनवाई योग्य माना था। तत्पश्चात, पांच वादी महिलाओं में से चार ने इसी साल मई में एक प्रार्थना पत्र दायर किया था। इसमें मांग की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का ASI से सर्वे कराया जाए। इसी पर जिला जज एके विश्वेश ने अपना फैसला सुनाते हुए ASI सर्वे कराने का आदेश दिया था। 

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