देश में पांच वर्ष तक  के 21 फीसदी बच्चे कुपोषित
देश में पांच वर्ष तक के 21 फीसदी बच्चे कुपोषित
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नई दिल्ली : यह बड़े शर्म का विषय है कि भारत में पांच वर्ष से कम आयु के 21 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. यह आंकड़ा निरंतर बढ़ रहा है . सच तो यह है कि पिछले 25 सालों से भारत ने इस आंकड़े पर कोई ध्यान नहीं दिया और न ही इस स्थिति की दिशा में कोई उल्लेखनीय प्रगति हुई है.जबकि प्रयासों का ढिंढोरा खूब पीटा जाता है.

उल्लेखनीय है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीआई) 2017 में जिबूती, श्रीलंका और दक्षिण सूडान ऐसे देशों में शामिल हैं, जहां बाल कुपोषण का आंकड़ा 20 प्रतिशत से अधिक है.पोषण की कमी से बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं . ऐसे बच्चे संक्रमण के जल्द शिकार हो जाते हैं, और इनका वजन तेजी से कम होने लगता है.इनकी रोगों से लड़ने की क्षमता भी कम हो जाती है .

इस बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि कुपोषण को दूसरे अर्थ में कहें, तो ऐसे बच्चे अपनी लंबाई के अनुपात में हल्के होते हैं. एक स्वस्थ बच्चे का वजन हर साल आम तौर पर दो-तीन किलो बढ़ना चाहिए. यह समस्या तब गंभीर हो जाती है, जब एक बच्चे का वजन और ऊंचाई का माप विश्वस्तर पर स्वीकृत आदर्श माप से कम होता है..तब ऐसे बच्चे कुपोषित बच्चों की श्रेणी में आ जाते है .

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