काबुल: संयुक्त राष्ट्र (UN) के अफगानिस्तान मिशन की मंगलवार (27 जून) को जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में विदेशी सेना के वापस लौट जाने और तालिबान के सत्ता में आने के बाद से बमबारी और अन्य हिंसा में एक हजार से ज्यादा अफगान नागरिक मारे जा चुके हैं। यूएन मिशन टू अफगानिस्तान (UNAMA) के मुताबिक, 15 अगस्त 2021 से इस साल मई के मध्य 1,095 नागरिक मारे गए और 2,679 जख्मी हुए, जो दशकों के युद्ध की समाप्ति के बाद भी सुरक्षा चुनौतियों को रेखांकित करता है।
UNAMA documented 2,814 civilian casualties (701 killed, 2,113 wounded) as a result of IED attacks between 15 August 2021 and 30 May 2023.
— UNAMA News (@UNAMAnews) June 27, 2023
289 children and 168 women were among the dead and wounded. https://t.co/v3WSztyeO1 pic.twitter.com/yeYDPJUu57
इनमें से ज्यादातर मौतें (700 से ज्यादा) मस्जिदों, शिक्षा केंद्रों और बाजारों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर आत्मघाती बम विस्फोटों समेत तात्कालिक विस्फोटक के चलते हुईं हैं। हालाँकि, अगस्त 2021 में NATO समर्थित सेना के पतन के बाद तालिबान के सत्ता में आने के बाद से सशस्त्र लड़ाई में नाटकीय रूप से गिरावट आई है, मगर विशेषकर इस्लामिक स्टेट से सुरक्षा चुनौतियाँ बनी हुई हैं। UNAMA की रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर हमलों के लिए आतंकी संगठन जिम्मेदार है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कम हिंसक घटनाओं के बाद भी हमलों की तादाद बढ़ गई है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि, 'UNAMA के आंकड़े न सिर्फ ऐसे हमलों से होने वाले नागरिक नुकसान को उजागर करते हैं, बल्कि 15 अगस्त 2021 के बाद से आत्मघाती हमलों की घातकता में इजाफा हुआ है, कम तादाद में हमलों के बावजूद बड़ी संख्या में नागरिक हताहत हुए हैं।' वहीं, इस पर अफगानिस्तान पर शासन करने वाले तालिबान का कहना है कि उनका पूरा फोकस देश को सुरक्षित करने पर है और हाल के महीनों में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खिलाफ कई छापे मारे हैं। वहीं, तालिबान सरकार के विदेश मामलों के मंत्रालय ने UN को एक जवाबी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अफगानिस्तान को उसकी सरकार, जिसे इस्लामिक अमीरात के नाम से जाना जाता है, के सत्ता संभालने से पहले दशकों तक युद्ध के दौरान सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, मगर अब यहां स्थिति में सुधार हो रहा है।
UNAMA के अनुसार, इस्लामिक स्टेट के हमलों में 1,700 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। हालाँकि, ये भी एक सवाल है कि, तालिबान और इस्लामिक स्टेट दोनों का मकसद इस्लामी शासन यानी शरिया कानून की स्थापना करना ही है, दोनों एक ही खुदा को मानते हैं, तो फिर दोनों में किस बात को लेकर जंग है ? बता दें कि, अफगानिस्तान में अधिकतर हमले मस्जिदों में ही हुए हैं, वो भी जुम्मे (शुक्रवार) को नमाज़ के वक़्त, जिस समय मस्जिद में नमाज़ियों की भीड़ रहती है और इस दौरान आतंकी हमला होने में काफी लोगों की मौत होती है। ये हमला करने वाले भी इस्लामिक स्टेट (ISIS) के आतंकी ही हैं, हालाँकि, वो निर्दोष मुस्लिमों को क्यों मार रहे हैं, इस पर तरह-तरह की चर्चाएं चलती हैं, मगर निष्कर्ष नहीं मिलता ।