आयुर्वेद में तुलसी तथा उसके विभिन्न औषधीय प्रयोगों का विशेष स्थान हैं. आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बूटी के समान माना जाता है. यही नहीं इसके साथ एक प्रसिद्ध कहावत भी है कि "जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वह पूजनीय स्थान होता है और वहां कोई बीमारी या मृत्यु के देवता नहीं आ सकते हैं. तुलसी का पौधा घरों में और मंदिरों में लगाया जाता है, साथ इसकी पत्तियां भगवान विष्णु को अर्पित की जाती हैं.
इसके औषधिय गुणों के अलावा यह कभी-कभी हमारे शरीर को नुक्सान भी पंहुचा सकती है.
1-तुलसी के पत्तों का सेवन करते समय ध्यान रखना चाहिए कि इन पत्तों को चबाए नहीं बल्कि निगल लेना चाहिए. इस प्रकार तुलसी का सेवन करने से कई रोगों में लाभ प्राप्त होता है. तुलसी के पत्तों में पारा धातु के तत्व होते हैं जो कि पत्तों को चबाने से दांतों पर लग जाते हैं. ये तत्व दांतों के लिए फायदेमंद नहीं है.
2-शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पत्ते कुछ खास दिनों में नहीं तोड़ने चाहिए. ये दिन हैं एकादशी, रविवार और सूर्य या चंद्र ग्रहण काल. इन दिनों में और रात के समय तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए. बिना उपयोग तुलसी के पत्ते कभी नहीं तोड़ने चाहिए. ऐसा करने पर व्यक्ति को दोष लगता है. अनावश्यक रूप से तुलसी के पत्ते तोड़ना, तुलसी को नष्ट करने के समान माना गया है.
3-बे वजह तुलसी के पत्ते तोड़ने से मृत्यु का शाप लगता है.
4-जिस घर में तुलसी लगी हो वहां उसकी रोज़ पूजा करनी चाहिए. क्योंकि यह मन जाता है कि इसे पूजने वाला व्यक्ति स्वर्ग में जाता है.
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