तब्‍लीगी जमात : क्या कट्टर इस्लामिक उलेमा का व्यवहार है निंदनीय ?

देश में किसी धार्मिक आयोजन से महत्वपूर्ण है. कोरोना के प्रसार को रोकना. जिसकों लेकर सरकार हर संभव कदम उठा रही है. वही, किसी भी धर्म में पुजारी, उलेमा या पादरी ऐसा वर्ग होता है जो उसे आगे की ओर ले जाता है। लेकिन इस्‍लाम धर्म का उलेमा वर्ग ज्‍यादतर प्रतिगामी रहा है। यही कारण है कि वह इस्‍लाम धर्म की प्रगति में बाधक रहा है। ऐसे समय में जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैला है, ऐसे में सरकार की मनाही के बावजूद तब्‍लीगी जमात ने दिल्‍ली के निजामुद्दीन में बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया। उसका परिणाम रहा कि बड़ी संख्‍या में तब्‍लीगी जमात के लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ गए। भारत में कोराना के विस्‍तार की मुख्‍य वजह तब्‍लीगी जमात को माना जा रहा है। वहां उलेमा वर्ग की भमिका काफी विवादास्‍पद रही। इस बारे में हैदराबाद के रहने वाले फिल्म निर्देशक, संवाद लेखक, पटकथा लेखक अब्‍बास टायरवाला ने फेसबुक पर विस्‍तार से बताया है.

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इस मामले को लेकर उनका कहना है कि कट्टर इस्लामिक उलेमा के कारण मुसलमान हर जगह नफरत के पात्र बनते हैं। यहां तक कि मैं उनसे उस मूर्खता के लिए नरक में भी घृणा करता हूं, जिसके बारे में वे चिल्लाते हैं और प्रतिगामी दृष्टिकोण वे प्रचार करते हैं। 700 ईस्वी से इन गधों को सिर उठाने का मौका नहीं मिला.

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अपने बयान में उन्‍होंने आगे कहा कि मेरे मामले में चूंकि मैं इस समुदाय में पैदा हुआ हूं, इसलिए मैं उनके प्रति घृणा की जगह जागरूकता फैलाने और आम मुसलमान में सुधार लाने का आग्रह करने में सक्षम हूं 

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