केरल: भीषण बाढ़ और तबाही के बीच आया 'ओणम'

तिरुअनंतपुरम: भारत एक प्राचीन और सांस्कृतिक देश है, जिसके हर राज्य में हमें विविध परम्पराएं और त्यौहार देखने को मिलते हैं. उत्तर भारत में जिस तरह दिवाली एक बड़ा त्यौहार है, उसी तरह दक्षिण भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है ओणम, ओणम केरल में मनाया जाता है.  राजा महाबली के स्वागत में प्रति वर्ष आयोजित किया जाने वाला ये त्यौहार 10 दिनों तक चलता है, उत्सव त्रिक्काकरा (कोच्ची के पास) केरल के एक मात्र वामन मंदिर से प्रारंभ होता है. इसमे पूजा-पाठ के साथ नौका दौड़ जैसे खेलों का आयोजन भी किया जाता है. किन्तु वर्तमान में केरल की जो स्थिति है, उसे देखते हुए इस साल केरल का ये महत्वपूर्ण त्यौहार मुश्किलों में घिरता दिखाई दे रहा है.

ओणम मनाने के पीछे है ये खास वजह

भीषण बारिश ने केरल में भारी तबाही मचाई है,  काफी मशक्कतों के बाद भी अभी तक राज्य परेशानियों से मुक्त नहीं हो पाया है, कई जगहों पर पुल, सड़के , पेड़, बिजली के खम्बे अदि टूट चुके है. ऐसे में राहत और बचाव दल के लिए भी राहत कार्य करने में मुश्किलें हो रही है. केरल में हालात इतने गंभीर हैं कि लगभग 190 लोग अपनी जान गँवा चुके हैं और कई लापता हैं. 

बाढ़ और बारिश से देश भर में हुई कई मौतें, देश के कई हिस्सों में अभी भी अलर्ट

इसके अलावा 54 हज़ार लोग अपने घर बह जाने के कारण बेघर हो गए हैं, ऐसे में अपनों से बिछड़े, उनकी मौत से सहमे और दुःख तकलीफें सहते लोगों से इस समय ओणम के बारे में बात भी करना, उनके जख्म कुरेदने की तरह होगा. हम केवल प्रार्थना और उम्मीद कर सकते हैं कि भारत का ये खूबसूरत दक्षिणी राज्य केरल, तमाम मुश्किलों से निकलकर फिर मजबूती से उठ खड़ा होगा. 

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