यदि आप पवनमुक्तासन करते है तो आपको इस से कई तरह के फायदे होंगे. चलिए जाने इसे कैसे किया जाता है.
लाभ: वायु विकार, स्त्रीरोग, मोटापा, कमरदर्द, हृदयरोग में लाभप्रद.
विधि: सीधे लेटकर दांये पैर के घुटने को छाती पर रखें. दोनों हाथों को अंगुलियां एक दूसरे में डालते हुये घुटने पर रखें, श्वांस बाहर निकालते हुये घुटने को दबाकर छाती से लगायें एवं सिर को उठाते हुये घुटने से नासिका का स्पर्श करें. 10 से 30 सैकण्ड रोकते हुये फिर पैर को सीधा कर दें. इसी तरह दूसरे पैर से करें. अन्त में दोनों पैरों से एक साथ करें.
यदि कमर में दर्द हो तो सिर उठाकर घुटने से नासिका ना लगायें. केवल पैरो को दबाकर छाती से स्पर्श करें. इससे स्लिपडिस्क, सायटिका, कमरदर्द में लाभ होता है. पीठ के बल लेट जायें. हथेलियां भूमि की और, दोनों पैरों को निरंतर साईकिल की तरह चलायें.
एक पैर घुटने से मोड़कर सीने की तरफ, दूसरा सीधा फैलायें. 10 बार या यथाशक्ति करें. बीच में विश्राम कर इसी प्रकार विपरीत दिशा में भी दोनों पैरों को निरंतर साइकिल की तरह चलायें. कब्ज, मंदाग्नि, एसिडिटी कमरदर्द, मोटापा घटाने में लाभप्रद.