नई दिल्ली : हाल ही में संन्यास लेने वाले श्रीलंकाई क्रिकेटर तिलकरत्ने दिलशान ने कहा है कि उन्हें अपनी कप्तानी के दौरान टीम के पूर्व और कई मौजूदा खिलाड़ियों से समर्थन नहीं मिला। दिलशान ने रविवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना आखिरी वनडे खेला था और उसके बाद अंतराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। हालांकि उन्होंने रिटायरमेंट के साथ ही अपनी टीम के पूर्व और मौजूदा खिलाड़ियों के व्यवहार को लेकर भी सवाल उठा दिये।
अप्रैल 2011 से जनवरी 2012 के बीच श्रीलंकाई टीम की कप्तानी को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनकी सबसे बड़ी चुनौती साथी खिलाड़ियों का समर्थन नहीं मिलना रहा। दिलशान ने कहा कि मुझे टीम की 10 महीने तक कप्तानी के दौरान कई चुनौतियां झेलनी पड़ी जिनमें कई टीम साथियों ने मेरी मदद नहीं की। वहीं अचानक से मुझे कप्तानी से हटा दिया गया जिससे मुझे काफी दुख पहुंचा। दिलशान को कुमार संगकारा और माहेला जयवर्धने के संन्यास के बाद कप्तान बनाया गया था। उन्होंने कहा कि मैं तो कप्तानी नहीं लेना चाहता था लेकिन श्रीलंका बोर्ड अध्यक्ष ने मुझे करीब छह महीने तक इस पद को संभालने को कहा। दुर्भाग्य से उस समय तक मुथैया मुरलीधरन रिटायर हो चुके थे, नुवान कुलशेखरा भी चोटिल थे और अंजता मेंडिस भी चोटिल थे। टीम में बहुत अधिक खिलाड़ी नहीं थे। एंजेलो मैथ्यूज भी चोटिल हो गये थे और गेंदबाजी बंद कर दी। यह मेरा दुर्भाग्य था लेकिन जब मैं पद से हट गया तो मैथ्यूज ने भी गेंदबाजी शुरू कर दी।
एक कदम आगे निकली UP सरकार, खिलाड़ियों पर मेहरबान हुए अखिलेश
दिलशान ने मैथ्यूज पर अप्रत्यक्ष रूप से काफी सवाल उठाये और उनकी कप्तानी के दौरान गैर सहयोगात्मक रवैया रखने का भी आरोप लगाया। मैथ्यूज ने दिलशान की कप्तानी में 20 वनडे मैच खेले जिनमें केवल 9 में ही गेंदबाजी की। उन्होंने कहा कि मुझे अचानक जिस तरह से हटाया गया उससे मैं काफी दुखी हूं लेकिन मैं निजी मुद्दों को नहीं उठाना चाहता हूं।
रेलवे ने भारतीय महिला हॉकी टीम के ट्रेन के फर्श पर बैठने की खबर को किया ख़ारिज