सिद्धवट मंदिर उज्जैन, जहां होती पितृ दोष की शांति
सिद्धवट मंदिर उज्जैन, जहां होती पितृ दोष की शांति
Share:

उज्जैन धार्मिक नगरी तो है ही यहां पितृ दोष निवारण के लिए भी सिद्धवट मंदिर विद्यमान है। इस मंदिर का उल्लेख प्राचीन धर्म ग्रंथों में प्राप्त होता है। मंदिर में दर्शन करने वालों का तांता लगा रहता है तथा पिंडदान और तर्पण करने  वाले श्रद्धालुओं का भी आगमन होता रहता है। सिद्धवट पर पितृ दोष निवारण करने का विशेष महत्व है।

भैरवगढ़ के पूर्व में शिप्रा के मनोहर तट पर 'सिद्धवट' का स्थान है। सोरों 'शूकरक्षेत्र' में जिस प्रकार वाराहपुराण वर्णित 'गृद्धवट' है, प्रयाग' में 'अक्षयवट' हैं, नासिक में पंचवट हैं, 'वृंदावन' में वंशीवट हैं तथा गया में 'गयावट' हैं, उसी प्रकार उज्जैन में पवित्र 'सिद्धवट' हैं। वैशाख मास में यहाँ भी यात्रा होती हैं। कर्मकाण्ड, मोक्ष कर्म, पिण्डदान एवं अंत्येष्टि के लिए प्रमुख स्थान माना जाता हैं। नागबलि, नारायण बलि-विधान प्राय: यहाँ होता रहता है। कहते हैं, मुगल बादशाहों ने धार्मिक महत्व जानकर कुठार चलाया था, वृक्ष नष्ट कर उस पर लोहे के बहुत मोटे पतरे-तवे जड़ा दिए थे। कहते हैं कि उस पर भी अंकुर फूट निकले, आज भी वृक्ष हरा-भरा है। मंदिर में फर्श लगी हुई है। यहाँ शिप्राजी की विस्तृत धारा बहती है। दृश्‍य बड़ा सुंदर है। प्रतिभा भी सिद्धवट की तरह होती है। आप उसे सात तवों से ढँक दें तो भी वह उन्हें फाड़कर बाहर आती है।

स्कन्द पुराण में इस स्थान को प्रेत-शिला-तीर्थ कहा गया है। एक मान्यता के अनुसार पार्वती ने यहाँ तपस्या की थी। वह नाथ सम्प्रदाय का भी पूजा स्थान है। सिध्दवट के तट पर क्षिप्रा में अनेक कछुए पाए जाते है। उज्जयिनी के प्राचीन सिक्कों पर नदी के साथ कूर्म भी अंकित पाए गए हैं. इससे भी यह प्रमाणित होता है कि यहाँ कछुए अति प्राचीनकाल से ही मिलते रहे होंगे.

मृत्यु पर विजय पाने वाला महा मृत्युंजय मंत्र

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -