अमेरिका के मिसाईल स्टेशन पर रूस ने जताया एतराज
अमेरिका के मिसाईल स्टेशन पर रूस ने जताया एतराज
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रोमानिया : रूस और अमेरिका में एक बार फिर विवाद गहराने की संभावना है। दरअसल रूस ने अमेरिका द्वारा रोमानिया में मिसाईल रक्षा स्टेशन स्थापित करने को लेकर अपनी आपत्ती ली है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि उनका देश यह मानता है कि अमेरिका के इस मिसाईल स्टेशन का उद्देश्य परमाणु शक्ति को कमजोर करना है। मगर रूस रक्षा के क्षेत्र में अपने आप को मजबूत करने में पूरी तरह से संकल्पित है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूस की बढ़ती सैन्य गतिविधियों पर गंभीरता से विचार करने की बात कही।

उन्होंने कहा कि यह एक चिंता की बात है। पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन नाटो द्वारा कहा गया कि इस स्टेशन का उद्देश्य मध्य पूर्व की ओ से होने वाले संभावित खतरों को रोकना ही है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका द्वारा रोमानिया के दक्षिण क्षेत्र में स्थित देवेसेलु में 80 करोड़ डॉलर के खर्च पर एक मिसाईल शिल्ड सक्रिय कर दी है। उनका कहना था कि अमेरिका इस माध्यम से बाहरी क्षेत्र में परमाणु रणनीतिक संभावनाओं की तलाश में है।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि रूस अपनी ओर उभरते खतरों को जानता है। वह इन खतरों को बेअसर कर देगा। उसका मानना है कि मिसाईल स्टेशन का उद्देश्य रूस की परमाणु शक्ति को कमजोर करना भी है। रूस रक्षा क्षेत्र में उपयुक्त खर्च को बढ़ाने के लिए कृतसंकल्पित है। पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन द्वारा कहा गया है कि इस स्टेशन का निर्माण मध्यपूर्व से आने वाले खतरों की संभावनाओं को रोकना है। रूस के अधिकारियों ने चर्चा करते हुए कहा कि यह कोई भी रक्षा तंत्र नहीं है, बल्कि अमेरिका बाहरी क्षेत्र में परमाणु रणनीतिक संभावनाओं की तलाश में लगा हुआ है।

मगर रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि हालांकि मिसाईलों की तैनाती की बात रक्षा के लिए की गई है मगर रूस इस बारे में अवलोकन कर रहा है कि आखिर उसकी रक्षा प्रणाली पर तो इसका असर नहीं होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि चर्चा के बाद समाधान निकल सकता है। दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे और नार्वे के नेताओं से इस मसले पर बैठक की गई। ओबामा का कहना था कि वे बाल्टिक नॉर्डिक क्षेत्र में रूस की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना था कि उन्हें इस मामले में रूस का सहयोग चाहिए। 

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