नई दिल्ली : नोटबन्दी के दौरान गलत तरीके से बैंकों में जमा करने वालों की खैर नहीं क्योंकि आयकर विभाग नोटबंदी के दौरान बैंक खातों में अघोषित नकदी जमा कराने की पड़ताल के अपने अभियान ‘ऑपरेशन क्लीन मनी' का दूसरा चरण अगले महीने शुरू कर सकता है. हालांकि, दूसरे चरण में भी पांच लाख रुपये से कम की एकबारगी जमाओं को इसमें शामिल नहीं करने की उम्मीद है.आयकर विभाग जल्द ही जमाओं के विश्लेषण के लिए दो डेटा विश्लेषक फर्मों की दस दिन में नियुक्ति करेगा.
इस सम्बन्ध में एक अधिकारी ने बताया किअगले दस दिन में सरकार को नोटबंदी से पहले व नोटबंदी के बाद करवाई गई जमाओं के आंकड़े बैंकों से मिल जायेंगे. यह डेटा स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंसियल ट्रांजेक्शंस (एसएफटी) के तहत दिया जाना है. उन्होंने कहा कि इस कवायद का उद्देश्य उस व्यक्ति के अनेक बैंक खातों या पैन नंबरों को आपस में जोड़ना है, जिसने बड़ी संख्या में नकदी जमा करवाई. आयकर विभाग ने समान पते, पैन संख्या, टेलीफोन नंबर, इ-मेल पते या नाम जैसी समानता के आधार पर विभिन्न जमाओं में तार जोड़ने की कोशिश शुरू की है.अधिकारी ने कहा कि कर विभाग एकल आधार पर पांच लाख रुपये से कम राशि वाली जमाओं की फिलहाल अनदेखी कर सकता है.
उल्लेखनीय है कि नोटबंदी के दौरान बैंक खातों में भारी जमाओं के मद्देनजर संभावित कर चोरों को पकड़ने के लिए विभाग ने ‘ऑपरेशन क्लीन मनी' के तहत पांच लाख रुपये से अधिक की संदिग्ध जमा करवाने वाले 18 लाख लोगों को एसएमएस, इ-मेल भेजे गये. सात लाख से अधिक लोगों ने इ-फाइलिंग पोर्टल के जरिये अपने जवाब दिये और जमा करवाना स्वीकार किया है.
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