जाकिर नाईक पर कस रहा शिकंजा, IRF पर बैन संभव
जाकिर नाईक पर कस रहा शिकंजा, IRF पर बैन संभव
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नई दिल्ली : इस्लाम के विवादित प्रचारक जाकिर नाईक पर धीरे -धीरे शिकंजा कसता जा रहा है. इस सन्दर्भ में बड़ी खबर यह है कि कानून मंत्रालय ने सरकार से कहा है कि जाकिर नाईक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को बैन किया जा सकता है. कानून मंत्रालय ने जाकिर नाईक पर दर्ज 2005 और 2012 के एफआईआऱ को आधार बनाकर सरकार को सिफारिश भेजी है.

बता दें कि गृह मंत्रालय ने भी जाकिर की संस्था को गैर कानूनी संगठन घोषित करने को कहा है. 1991 से जाकिर का इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन काम कर रहा है. संगठन पर धर्मांतरण कराने और आईएस के लिए लोगों को भेजने का भी आरोप लग चुका है. यदि इस फाउंडेशन पर बैन लगता है तो कोई भी व्यक्ति इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन का सदस्य नहीं बन सकता है. अगर बनता है तो वह कानूनी कार्रवाई का भागी बनेगा. सम्भवतः पांच साल का बैन लगेगा. बैन लगने के बाद संगठन कहीं से चंदा भी नहीं ले सकेगा. कोई चंदा दे भी नहीं सकता.

हालांकि संसद में सरकार कह चुकी है कि जाकिर के आतंकी कनेक्शन के सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन 55 आतंकी जाकिर के भाषणों से प्रेरित रहे हैं. बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुए आतंकी हमले के बाद से चर्चा में आए जाकिर नाईक पेशे से डॉक्टर है. लेकिन, रोगियों के इलाज में उसका मन नहीं लगा और डॉक्टरी छोड़ कर इस्लाम के प्रचार प्रसार में जुट गया, जिसके बाद उन्होंने इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन बनाया और पूरी दुनिया में इस्लाम और कुरान पर लेक्चर देने लगा. 1965 में मुंबई में जन्मे जाकिर को सुनने वालों को संख्या बहुत ज्यादा है. बताया जा रहा है कि 2012 में बिहार के किशनगंज में जाकिर की एक सभा हुई. जिसमें, 10 लाख से ज्यादा लोगों के शामिल होने का दावा किया गया.

जाकिर ने 1991 में इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की. इस संस्था का मकसद था गैर मुस्लिमों को इस्लाम का सही मतलब समझाना. इसी मकसद से जाकिर ने खुद दुनिया भर में घूम घूम कर कुरान और इस्लाम पर लेक्चर देना शुरू कर दिया. नाईक पिछले 20 सालों में 30 से ज्यादा देशों में 2000 से भी ज्यादा सभाएं कर चुका है. उस पर आरोप है कि उसके भाषणों से आतंकी प्रेरणा ले रहे हैं. कई खूंखार आतंकी इस सूची में हैं.

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