आखिर कब करें श्राद्ध!
आखिर कब करें श्राद्ध!
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इन दिनों देशभर में श्राद्ध मनाया जा रहा है। श्राद्ध की तिथियां अमावस्या, संक्रांति, चंद्र - सूर्य ग्रहण और अर्धोदयादि पर्व के साथ मृत्युदिन श्रोत्रिय ब्राह्मणों की तिथि श्राद्ध के लिए योग्य है। यही नहीं हर वर्ष तिथि पर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। इस तरह से मृत्यु की तिथि और महीना दोनों ज्ञात होने की जरूरत है। अब यहां बात करते हैं कि आखिर श्राद्ध कब करें। श्राद्ध के लिए मृत्यु महिला और तिथि भी ज्ञात होना जरूरी है। यदि दादा, पितामह के श्राद्ध की तिथि ज्ञात हो तो श्राद्ध उस तिथि को किया जा सकता है नहीं तो सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करना उत्तम होता है।

यदि जिसका श्राद्ध किया जा रहा है वह सुहागन हो तो उसके लिए नवमी तिथि बताई गई है। इसे अविधवा नवमी ही कहा जाता है दूसरी ओर पंचमी तिथि को कुंआरा पंचमी कहा गया है। सर्वसामान्यतः इस तिथि में कुंआरों का श्राद्ध किया जाता है। यही नहीं पितरों के लिए दैनिक श्राद्ध भी होता है जिसे उदक कहा जाता है। पितरों को तर्पण देकर भी यह श्राद्ध किया जाता है। दर्शश्राद्ध से नित्य श्राद्ध की सिद्धि भी होती है। 

प्रति माह इस तरह का श्राद्ध संभव नहीं है। हम अश्विन और कार्तिक मास की अमावस्या कर सकते हैं। अपराह्न का समय भी श्राद्ध के योग्य है। अक्षय तृतीया कृतयुग का प्रारंभ किया गया। इस दिन किया जाने वाला श्राद्ध पितृ श्राद्ध कहलाता है। पितृतपर्ण और दान के साथ ही यह अक्षय फल देता है। श्राद्ध पक्ष में तर्पण के साथ अपिंड श्राद्ध भी किया जा सकता है। 

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