आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस ने अपनाया ऐसा तरीका, जानकर हैरान रह जाएंगे आप
आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस ने अपनाया ऐसा तरीका, जानकर हैरान रह जाएंगे आप
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जालोर : राजस्थान पुलिस आजकल मामलों को तांत्रिक तरीकों से सुलझाने लगी है. आहाेर कस्बे के मेघवालों के बास में 15 दिनों से रहस्यमय तरीके से हो रही पत्थर वर्षा का राज खोलने के लिए पुलिस ने अजीबोगरीब तरीका अपनाया. दो पुलिसकर्मियों ने मिट्टी का एक छोटा मटका गुलाल से भरवाकर घड़े का मुंह कपड़े से बंद कर दिया. मटका में एक अंगुली जाने जितना ही छेद कर रखा था. इसके बाद पुलिसकर्मियों ने कहा कि इस मटका में एक-एक करके सभी को अपनी अंगुली डालनी है. घड़े में गुलाल है और जिस किसी की अंगुली के गुलाल नहीं लगा तो समझो पत्थर फेंकने वाला वहीं शख्स होगा.

गुरुवार शाम करीब 6:30 बजे एएसआई फूलाराम तथा हैडकांस्टेबल बाबूलाल पुरोहित के नेतृत्व में अन्य पुलिसकर्मियों ने आसपास के मोहल्लेवासियों को खेतलाजी मंदिर में एकत्रित किया. मिट्टी का एक छोटा मटका गुलाल से भरवाकर घड़े का मुंह कपड़े से बंद कर रख दिया .इसके बाद पुलिसकर्मियों ने कहा कि इस मटका में एक-एक करके सभी को अपनी अंगुली डालनी है. घड़े में गुलाल है और जिस किसी की अंगुली के गुलाल नहीं लगा तो समझो पत्थर फेंकने वाला वहीं शख्स होगा.

इतना कहते हुए एक-एक को बुला घड़े में अंगुली डलवानी शुरू कर दी. लोग डरते-सहमे घड़े में अंगुली डालते रहे और गुलाल लगने पर राहत की सांस लेते हुए निकलते रहे. एक ग्रामीण की अंगुली कटी होने के कारण गुलाल को छू नहीं पाई तो सरेआम उसे आरोपी मान लिया गया. पुलिस के अचानक आरोपी ठहराने से उसकी तबीयत बिगड़ गई. उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस की इस तथाकथित कार्रवाई के दौरान 72 वर्षीय मोतीराम पुत्र हीराराम मीणा भी मौजूद था. मोतीराम की बारी आने पर उनकी अंगुली घड़े में डलवाई गई, वह कटी हुई होने से छोटी थी.

मोतीराम ने जैसे ही घड़े से अंगुली बाहर निकाली, तो एएसआई फूलाराम ने अंगुली पर गुलाल नहीं देख, मोतीराम को पत्थर फेंकने का आरोपी बना दिया. इसके बाद वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे जेल में डालने की धमकी दी. मोतीराम हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता रहा कि उसने किसी के घर पत्थर नहीं फेंके हैं, मगर पुलिसकर्मियों ने मोतीराम को आरोपी बता चलते बने. इधर, मोतीराम लोगों के सामने शर्मिंदा होते हुए घर तक पहुंचा ही नहीं था कि बेहोश होकर गिर पड़ा. उसके पुत्र हबताराम ने आहोर के कृष्णा अस्पताल ले जाकर मोतीराम को भर्ती करवाया.

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