इस किले के अंदर बिछी है ट्रैन की पटरियां
इस किले के अंदर बिछी है ट्रैन की पटरियां
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भारत हमेशा से ही अपने किले अपनी ऐतिहासिक खासियत के कारण पूरी दुनिया में मशहूर है, हम हमेशा आपको भारत में मौजूद अलग-अलग किलों के बारे में बताते रहते है, इसी श्रृंखला में आज हम आपके लिए लेकर आये है एक ऐसे  किले की कहानी जो अपने शानो-शौकत के लिए जाना जाता था. यहाँ तक कि इस किले के अंदर रेल की पटरियां तक बिछी थी. हम बात कर रहे है बिहार के मिथिला और बंगाल क्षेत्रों तक फैले इस किले की जिसे दरभंगा महाराज के किले के नाम से जाना जाता है. बिहार में बना ये किला दुनिया का सबसे बड़ा किला है. आज हम आपको इससे जुड़ी कुछ बातो के बारे में बताने जा रहे है.

दरभंगा राजा का ये किला जिसकी तुलना दिल्ली के लाल किले से की जाती है, इस किले के अन्दर रामबाग पैलेस बना हुआ है जिसकी वजह से इसे 'राम बाग किला' भी कहा जाता है. इस किले के अंदर बने वास्तुकला की झलक देखने के लिए यहाँ देश विदेश से काफी लोग आते है, इस किले के चारों तरफ पानी भरा रहता है.

इस किले की दीवारे लाल ईंटों से बनी है जिनकी चौड़ाई करीब 500 मीटर है, इसके अलावा इस किले की दीवारों के उपर की तरफ वाच टावर और गार्ड हाउस भी बने हुए है, किले के अंदर आपको कंकाली मंदिर के दर्शन भी हो जायेगे, और इसके अलावा आपको कई और महल भी देखने को मिलेंगे, इस किले के मुख्य द्वार को सिंहद्वार कहा जाता था. ये किला दरभंगा के महाराज कामेश्वर सिंह ने बनवाया था, उन्होंने इस किले में रेल लाइन्स भी बिछवाई थी, जिसके द्वारा ट्रेने किले के अंदर तक आती थी.

इस महल में मौजूद फर्नीचर में महाराजा की ठाट-बाट के अनुसार सोने-चांदी भी जड़े थे. इस किले को सँभालने के लिए कुल 7,500 हजार अधिकारी नियुक्त किये गए थे, महाराजा कामेशवर सींग की शौनों-शौकत देखकर अंग्रेजों ने इन्हें महाराजाधिराज की उपाधि दी थी. 

 

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