‘ट्रैफिक’ में है भावनाओं की गतिमान लहरें

इस शुक्रवार राजेश पिल्लई की ‘ट्रैफिक’ फिल्म रिलीज हुई है जो की मलयालम और तमिल की एक फिल्म की रीमेक है इस फिल्म को राजेश पिल्लई ने निर्देशित की है इस फिल्म के लिए मुंबई और पुणे की लोकेशन को चुना गया है जो की एक महत्वपूर्ण निर्णय साबित हुआ है।

फिल्म की कहानी यह है कि ट्रैफिक अधिकारी को चुनौती के साथ जिम्मेदारी दी गई कि वह धड़कते दिल को ट्रांसप्लांट के लिए निश्चित समय के अंदर मुंबई से पुणे पहुंचाने का मार्ग सुगम करे। घुसखोर ट्रैफिक हवलदार गोडबोले अपना कलंक धोने के लिए इस मौके पर आगे आता है। 

इस फिल्म में मनोज बाजपेयी ने एक बार फिर साबित कर दिया है की वे भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के एक बड़े सितारे है साथ ही दिव्या दत्ता ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी. लेखक और निर्देशक अतिनाटकीयता थोड़ी दिखाई देती है लेकिन दर्शको को कुर्सी से बाधे रखने में फिल्म सफल है. साथ ही यह फिल्म अलग किस्म के विषय को संवेदनशील तरीके से पेश करती है।

फिल्म में रियल टाइम में ही सारी घटनाएं घटती हैं। सिनेमैटोग्राफर संतोष थुंडिल ने घटनाओं और भावनाओं की गति को समान स्पीड में पेश किया है। हिंदी फिल्मों के प्रचलित लटके-झटकों से अलग ‘ट्रैफिक’ इमोशनल थ्रिलर है। यह फिल्म दो किरदारों को प्रायश्चित करने और दूसरे दो किरदारों की स्थितियों को समझने और स्वीकार करने की जमीन देती है। आखिर यह फिल्म आपको निराश नहीं करेगी, बहरहाल यह फिल्म एक बार तो आपको यह फिल्म देखनी चाहिए।

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