आज बसंत पंचमी पर करें मां सरस्वती के इन दिव्य मंत्रों का जाप, हर क्षेत्र में मिलेगी तरक्की
आज बसंत पंचमी पर करें मां सरस्वती के इन दिव्य मंत्रों का जाप, हर क्षेत्र में मिलेगी तरक्की
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प्रत्येक वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस बार यह त्योहार आज यानी 14 फरवरी को मनाया जा रहा है. सनातन धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व होता है। लोग इस दिन को अलग-अलग अंदाज में सेलिब्रेट करते हैं. कहते हैं कि जिस मनुष्य पर मां सरस्वती की कृपा होती है, उसे प्रत्येक क्षेत्र में सफलता और मान-सम्मान मिलता है. अगर किसी की कुंडली में विद्या से जुड़ी समस्या है या पढ़ने-लिखने परेशानी हो रही है तो बसंत पंमची पर मां सरस्वती के पांच दिव्य मंत्र उसके बड़े काम आ सकते हैं.

मां सरस्वती के दिव्य मंत्र
1. यदि आप नौकरी या पढ़ाई से जुड़ी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के मंत्र ''शारदायै नमस्तुभ्यं मम ह्दये प्रवेशनि, परीक्षायां उत्तीर्णं सर्व विषय नाम यथा'' का जाप करें. इस मंत्र का 108 बार जाप करें. ऐसा कहा जाता हैं कि इस मंत्र का जाप करने से एकाग्रता बढ़ती है तथा स्मरण शक्ति तेज होती है.

2. अगर किसी बच्चे को वाणी दोष या बोलने में किसी तरह की परेशानी है तो इसे दूर करने के लिए भी एक कारगर मंत्र है. इसके लिए बसंत पंचमी पर ''ऊं ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नम:'' मंत्र का जाप करें. बसंत पंचमी पर इस मंत्र का जाप कर आपके बच्चे कुशल वक्ता बन सकते हैं.

3. अगर आप कला, संगीत से जुड़े पेशे में कार्यरत हैं तो बसंत पंचमी के दिन ''श्रीप्रदा ॐ श्रीप्रदायै नमः'' मंत्र का जाप करते हुए मां सरस्वती की पूजा करें. इस मंत्र का जाप करने से इंसान की कला में निखार आता है. कला से परिपूर्ण लोगों के पास कभी धन का अभाव नहीं रहता है.

4. अगर आप करियर, कारोबार या नौकरी में किसी प्रकार की परेशानी या बाधा का सामना कर रहे हैं तो मां सरस्वती के ''पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः'' मंत्र का जाप करें. मां सरस्वती के इस गुप्त मंत्र का बसंत पंचमी पर 108 बार जाप करने से पेशेवर जीवन में आ रही अड़चनें दूर हो जाती हैं. बसंत पंचमी पर मां सरस्वती के इन मंत्रों का जाप करने के लिए श्वेत आसन पर बैठें तथा दो मुखी दीपक लगाकर देवी सरस्वती का स्मरण कर जाप करें.

मां सरस्वती की वंदना:-
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥ 

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