गुमनामी की ज़िंदगी गुजारते  टीएन शेषन
गुमनामी की ज़िंदगी गुजारते टीएन शेषन
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जिन लोगों ने 1990 के दशक के चुनाव देखें हैं उन्हें याद होगा कि उस समय के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन का रुतबा क्या था. शेषन ने ही चुनाव आयोग की ताकत का देशवासियों को अहसास कराया था. वृद्धावस्था और बीमारियों के चलते यह दबंग अधिकारी इन दिनों चेन्नई में गुमनामी की ज़िंदगी जी रहे है .उनका वक्त घर में अकेले रहकर या पास के वृद्धाश्रम में कटता है.

उल्लेखनीय है कि 15 दिसंबर 1935 को जन्मे टीएन शेषन तमिलनाडु काडर के आईएएस अधिकारी 1990 में मुख्य चुनाव आयुक्त बने थे. दिसंबर 1990 से 1996 तक शेषन चुनाव आयोग के प्रमुख रहे थे. 90 के दशक में टीएन शेषन का ऐसा रूतबा था, कि बड़े अधिकारी से लेकर नेता तक उनसे खौफ खाते थे.  वो टीएन शेषन ही थे, जिन्होंने चुनाव आयोग की ताकत का अहसास करवा कर चुनाव आयोग की तस्वीर ही बदल दी थी. हर एक मतदाता को मतदाता पहचान पत्र उन्हीं की पहल से संभव हुआ .

लेकिन अब  शेषन 85 साल के हो गए हैं और आजकल लोगों से कम ही मिलते हैं.अब यह शख्स वक्त के थपेड़ों के साथ अपना जीवन अकेले गुजार रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कुछ साल पहले शेषन को भूलने की बीमारी हो गई थी, जिसके बाद उनके रिश्तेदारों ने उन्हें वृद्धाश्रम में शिफ्ट कर दिया था. जहाँ वे 3 साल वहां गुजारने के बाद वो घर तो आ गए लेकिन आज भी उनका अधिकांश समय वृद्धाश्रम में ही गुजरता है.1996 में उन्हें रैमन मैगसेसे अवॉर्ड से सम्मानित शेषन  का यूँ गुमनाम हो जाना अफसोसजनक है .

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