विशुद्ध मृत्तिका के तिलक से दिमाग चलता है तेज

विशुद्ध मृत्तिका के तिलक से दिमाग चलता है तेज
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हिन्दू शास्त्रो में पूजा या कोई बड़ा कार्य शुरू करते समय माथे  पर तिलक लगाने की परम्परा रही है जो  आजतक चल रही है. लेकिन क्या आप जानते है इसका वैदिक व् ज्योतिष महत्व होने के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है. आइये जानते है क्या है तिलक लगाने के वैज्ञानिक व् मनोवैज्ञानिक महत्व 

तिलक लगाने का वैज्ञानिक महत्व
विज्ञानं के अनुसार हमारे शरीर में दो तरह के रसायन होते है बीटाएंडोरफिन और सेराटोनिन। इन रसायन से मस्तिष्क को शांति और शीतलता मिलती है. यदि ये  रसायनों की कमी हो जाये तो वयक्ति के मन में उदासीनता और निराशा की feelings  आने लगती  हैं तिलक इन केमिकल्स की कमी को पूरा करता है अत: तिलक लगाना उदासीनता और निराशा से मुक्ति प्रदान करने में सहायक है। पुराने समय में राजा – महाराजा युद्ध पर जाते समय तिलक लगाके ही जाते थे ताकि मन में निराशा या डर  का भाव ना आये 
 
 मनोविज्ञान की दृष्टि से भी तिलक लगाना बहुत उपयोगी माना गया है। हमारा माथा चेहरे का केंद्रीय भाग होता है, जहां सबकी नजर अटकती है। उसके मध्य में तिलक लगाकर, विशेषकर स्त्रियों में, देखने वाले की दृष्टि को बांधे रखने का प्रयत्न किया जाता है। इसका प्रयोग अपनी बात को सुनने वाले के मन की गहराई तक पहुँचाने के लिए होता है.

विभिन्न द्रव्यों व् पदार्थोँ से बने तिलक का अलग अलग महत्व माना गया है है। जैसे चंदन का तिलक मन में ताजगी लाता है. कुमकुम का तिलक तेज व् ऊर्जा प्रदान करता है। विशुद्ध मृत्तिका के तिलक से दिमाग तेज चलता है.

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