ये ही है सनातन धर्म के प्रतीक
ये ही है सनातन धर्म के प्रतीक
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ज्योतिष शास्त्र हो या फिर अन्य कोई धर्म शास्त्र ही क्यों न हो, लगभग सभी शास्त्रों में सनातन धर्म को लेकर विस्तार से व्याख्या की गई है। संत सुमन भाई मानस भूषण ने बताया है कि धर्म रूपी वृक्ष के चार फल है, सत्य, अहिंसा, सेवा और परहित, ये ही सनातन धर्म है।

सेवा करने से न केवल श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है तो वहीं सत्य बोलने वाले की कभी हार नहीं हो सकती है। हालांकि कहा भी गया है कि सत्य परेशां हो सकता है पर पराजित नहीं। ज्योतिष शास्त्र भी व्यक्ति को हमेशा सत्य वचन कहने के लिए प्रेरित करता है। अहिंसा का तात्पर्य सभी के साथ प्रेम करना है, चाहे मनुष्य हो या फिर चाहे जानवर, अहिंसा परमोधर्म माना गया है।

परहित का तात्पर्य दूसरों का हित करने से है। कहा भी गया है कि जो लोग दूसरे के बारे में सोचते है या उनका हित करते है, ईश्वर उनकी सहायता अवश्य ही करते है। कुल मिलाकर सनातन धर्म की व्याख्या विस्तृत ही नहीं बल्कि समझने योग्य भी है, जो सनातन धर्म को मानने वाले को अंगीकार करना चाहिए।

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