इसलिए मुस्लिम धर्म में सूअर का नाम लेना भी होता है पाप
इसलिए मुस्लिम धर्म में सूअर का नाम लेना भी होता है पाप
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इस ब्रम्हांड में बहुत से धर्म विद्यमान है जिसमे सभी की अलग अलग मान्यता है उन्ही में से एक धर्म मुस्लिम  धर्म है जिसकी अपनी अलग मान्यता है आज हम आपसे एक ऐसे ही ख़ास मान्यता के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में शायद आप भी नहीं जानते होंगे.

सार- इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र और मुख्य ग्रन्थ कुरान पाक के मुताबिक स्पष्ट रूप से कहा गया है की इस्लाम धर्म में ऐसे किसी भी जानवर का सेवन करना वर्जित है जो हलाल और जिंबा न किया गया हो.

इन्हें खाना हराम है- आप शायद इस बात को जानते होंगे की कुरान ग्रन्थ के अनुसार किसी भी जानवर का मांस खाना जो किसी बिमारी या दुर्घटना में मर गया हो हराम माना जाता है.

वैज्ञानिको के अनुसार- वैज्ञानिको के शोध के अनुसार सूअर का मांस खाने से व्यक्ति को 72 प्रकार की बीमारियाँ हो सकती है इस बात की जानकारी विज्ञान ने अभी दी है किन्तु इसे 1400 वर्ष पूर्व ही कुरान में बता दिया गया था.

मस्तिष्क को हानि- इस्लामिक ग्रन्थ कुरान में सूअर के मांस को खाना हराम माना जाता है वैज्ञानिको के अनुसार सूअर के मांस में टाईनिया सोलियम नाम का बैक्टीरिया पाया जाता है जो व्यक्ति के मस्तिष्क को अपना शिकार बनाता है और इससे दिमागी रोग उत्पन्न होते है.

इन अंगों को हानि- जिस स्थान पर सूअर को पाला जाता है उस स्थान पर कई प्रकार के जीवाणु पैदा हो जाते है यदि यह जीवाणु व्यक्ति की आँखों में चले जाते है तो इससे आखों की रोशनी जाने का खतरा हो सकता है तथा ये आपके पेट में पहुँच जाते है तो कई प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती है.

 

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