नई दिल्ली: भारत में इस समय न्यायालयों में हजारों मामले ऐसे हैं जिन पर सुनवाई नहीं हो सकी है। वहीं देश में वर्तमान समय को देखते हुए न्यायाधीशों की काफी कमी भी देखी गई है। यहां हम आपको बता दें कि देश में न्याय मिलने में होने वाली देरी का एक कारण जजों की कमी होना भी है और इसी वजह से कोर्ट में हजारों मामले बहुत समय तक लंबित पड़े रहते हैं। इसके अलावा देश में इस समय जिला और अधीनस्थ न्यायालय मिलाकर 18,400 अदालतेें हैं।
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जानकारी के अनुसार बता दें कि केंद्र सरकार ने इस वित्त वर्ष के दौरान 2,370 अदालतें बनाई हैं और इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि जिला और अधीनस्थ न्यायालयों की 5,700 से ज्यादा खाली पड़े पदों को तुरंत भरा जाना चाहिए। यहां बता दें कि इस समय न्यायिक अधिकारियों की संख्या 16,728 है। जबकि उनकी संख्या 22,474 होनी चाहिए थी। वहीं सुप्रीम कोर्ट के नए न्यायाधीश बने रंजन गोगोई के आने के बाद इस प्रक्रिया का शुरू होना बताया जा रहा है। उन्होने राज्यों और उच्च न्यायालयों द्वारा भर्ती प्रक्रिया पर कार्य करने के तरीके पर नाराजगी व्यक्त की थी।
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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के साथ साथ देश के अन्य न्यायालयों में भी हजारों मामले लंबित पड़े हैं। इसके साथ ही एक मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निचली कोर्ट और राज्यों के न्यायालयों को चेतावनी दी है कि वे अपने खाली पड़े पदों पर जल्द जल्द से भर्तियां करें। यहां बता दें कि वर्तमान में अदालतों में 2.72 करोड़ मामले लंबित पड़े हैं और इसका मुख्य कारण जजों की कमी है।
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