रवि पुष्य नक्षत्र पर सूर्य आराधना का महत्व
रवि पुष्य नक्षत्र पर सूर्य आराधना का महत्व
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दीपावली के आठ दिन पहले आने वाले रवि पुष्य नक्षत्र का योग 23 अक्टूबर को बन रहा है। इस अवसर पर जहां खरीदी शुभ होती है वहीं सूर्य आराधना का भी महत्व ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है। रविवार के दिन सूर्य को जल चढ़ाने और पूजन आराधना करने से शुभ फल की तो प्राप्ति होती ही है वहीं जिनकी राशि में सूर्य कमजोर है, उन्हें भी फायदा मिलता है।

तांबे के पात्र से चढ़ायें जल

प्रातःकाल स्नान आदि कर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिये। सूर्य देवता को जल अर्पण करने के लिये तांबे के पात्र का ही प्रयोग उत्तम होता है। यदि पात्र के पानी में कुंकुम या गुलाल डाल दिया जाये तो और अधिक श्रेष्ठ होगा। जिनकी राशि में सूर्य कमजोर है, उन्हें जरूर रवि पुष्य नक्षत्र में यह प्रयोग करना चाहिये। इस प्रयोग से निश्चित ही सूर्य देवता का आशीर्वाद मिलता है और सूर्य मजबूत होता है।

रत्न भी कर सकते है धारण

रवि पुष्य नक्षत्र ऐसा शुभ मुर्हूत है, जिसमें सूर्य से संबंधित रत्न भी धारण किया जा सकता है। माणिक को सूर्य का रत्न माना गया है। यदि माणिक धारण नहीं किया जा सकता है तो फिर गार्नेट रत्न भी उपयुक्त है। रत्न पहनने के लिये किसी योग्य ज्योतिषी से ही सलाह लेना चाहिये। बगैर सलाह लिये या बगैर कुंडली दिखाये रत्न धारण करना जीवन में विपरित फल भी दे सकता है।

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