नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की एक अवकाश पीठ ने आज मंगलवार (28 मई) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में उनकी अंतरिम जमानत को एक सप्ताह बढ़ाने की मांग वाली याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) लिस्टिंग पर फैसला लेंगे क्योंकि जमानत अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन एक ऐसे मामले में दिया गया है जिसमें फैसला पहले ही सुरक्षित रखा जा चुका है। शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर 17 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने आज कहा कि , "यह सुना हुआ और सुरक्षित मामला है। हम कुछ नहीं कर सकते। यह मामला 17 मई को सुना गया और सुरक्षित रखा गया था। उचित आदेश के लिए CJI के समक्ष रखा जाए।"
केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने पहले आवेदन को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया था, यह देखते हुए कि मुख्यमंत्री को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 2 जून को सरेंडर करना आवश्यक है। सिंघवी ने कहा, "केवल 7 दिनों का विस्तार मीलॉर्ड। यह सिर्फ एक चिकित्सा विस्तार है और स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं है।" हालांकि, कोर्ट ने कहा कि लिस्टिंग पर केवल CJI ही फैसला ले सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे पूछा कि आवेदन का उल्लेख न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता के समक्ष क्यों नहीं किया गया जो पिछले सप्ताह अवकाश पीठ का नेतृत्व कर रहे थे। यह न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दत्ता की पीठ थी जिसने 10 मई को केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम जमानत दी थी, ताकि वह मौजूदा लोकसभा चुनावों में प्रचार कर सकें। आज न्यायमूर्ति माहेश्वरी के सवाल के जवाब में सिंघवी ने कहा कि डॉक्टर ने परचा परसों ही दिया था और इसीलिए पिछले सप्ताह आवेदन नहीं दिया जा सका।
कोर्ट ने दोहराया कि वह लिस्टिंग के बारे में कोई निर्णय नहीं ले सकता और मामले को उचित आदेश के लिए CJI के पास भेज दिया। बता दें कि, केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। केजरीवाल के खिलाफ ED की जांच 2022 में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की शिकायत पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामले से शुरू हुई है। यह आरोप लगाया गया है कि कुछ शराब विक्रेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति में खामियां पैदा करने के लिए केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य सहित AAP नेताओं द्वारा एक आपराधिक साजिश रची गई थी।
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