हर इंसान के खाने का एक अलग टेस्ट होता है। कोई शाकाहारी होता है तो कोई मांसाहारी। ये उसकी पसन्द है कि उसे क्या खाना है क्या नही। जो लोग शाकाहारी होते हैं वो चाहते हैं दुनिया में सभी शाकाहारी हो जाएँ। ऐसे लोगों को जानवरों की तकलीफ से तकलीफ होती है। कुछ लोग बस दिखावे के लिए शाकाहारी हो जाते हैं। हम जितने लोगों को शाकाहारी बना सकते हैं उतने को बन देते हैं लेकिन हम पूरी दुनिया को अपने इशारों पर नही नचा सकते।
जैसे कि कोलंबिया में इंटरनेशनल सेंटर फॉर ट्रॉपिकल एग्रीकल्चर में काम करने वाले एंड्रयू जार्विस कहते हैं कि विकसित देशों में शाकाहारी होने के बहुत से फ़ायदे हैं। लेकिन विकासशील देशों में इसके नुकसान है। दरअसल , ऑक्सफोर्ड मार्टिन स्कूल के मार्को स्प्रिंगमैन का कहना हैं अगर सिर्फ रेड मीट को हटा दिया जाये तो ग्रीन हाउस गैस में कमी आ जायेगी।
ग्रीन हाउस गैस भी मांसाहारी परिवार से ही निकलती है। इसी के साथ अगर 2050 तक सारे इंसान शाकाहारी हो तो इसमें 70 फ़ीसद की कमी आ सकती है। सूअर के मांस को पॉर्क कहते हैं ये मांसाहारी लोगों के लिए बड़े पैमाने पर पाले जाते है। और ये तो आप जानते ही हैं कि सूअर क्या खाते हैं। नही जानते तो इस विडियो में देख लीजिये।