28 जजों को हर बुधवार बेसब्री से रहता है लजीज लंच का इंतजार
28 जजों को हर बुधवार बेसब्री से रहता है लजीज लंच का इंतजार
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नई दिल्ली : कभी शुरू किया गया कोई कार्य जब परम्परा बन जाता है तो उसे अपनाने का अपना ही आनंद होता है. ऐसे ही एक परम्परा सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा अपनाई जाती है. हर हफ्ते बुधवार के लंच ब्रेक का बेसब्री से इंतजार रहता है. इस दिन उन्हें किसी खास राज्य के लजीज पकवान परोसे जाते हैं वो भी सिर्फ घर के बने. इस पूरी कवायद का एक ही उद्देश्य है कि सुनवाई के दौरान के मतभेद और दूसरे काम के दबाव को भुलाकर आपसी मित्रता को बढ़ाया जाए.

उल्लेखनीय है कि रिटायर्ड जस्टिस कुलदीप सिंह ने नब्बे के दशक में साप्ताहिक लंच का सुझाव दिया था. उन्होंने बताया, उस समय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंगनाथ मिश्रा ने सुझाव को माना और इस परंपरा की शुरुआत हुई.बुधवार को बाकि दिनों से अलग सभी 28 जज एक बजते ही कॉमन डाइनिंग हॉल में एक साथ स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठाते हैं.इस दौरान किसी केस या कानून की बात नहीं होती, बल्कि सभी न्यायाधीश लजीज खाने की विधि और मसालों पर चर्चा होती हैं. इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि भोजन पूरी तरह शाकाहारी हो और खाने के लिए सिर्फ पांच पकवान ही परोसे जाएं. खाने के बाद हर जज को उनकी पसंद का पान दिया जाता है.

खास बात यह है कि बुधवार को जो न्यायाधीश खाना लाते हैं उसमें उनके ही राज्य के प्रसिद्ध पकवान शामिल रहते हैं. वहीं के मसालों का इस्तेमाल कर पूरी पारंपरिक विधि से खाना पकाया जाता है ताकि खाने में स्थानीय स्वाद बना रहे. स्वाद की पूरी जिम्मेदारी जज की पत्नी निभाती हैं. गत बुधवार को जस्टिस अरुण मिश्र के घर में बना मध्यप्रदेश का पारंपरिक पकवान परोसा गया जिसमें भरवां भिंडी और बैंगन, मलाई कोफ्ता और पनीर लबाबदार शामिल था. वहीं मीठे में खीर और अन्नास केसर हलवा और मालपुआ रहा.

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