बिचौलिए संजय भंडारी और रॉबर्ट वाड्रा का कनेक्शन ? सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गांधी परिवार के इनकम टैक्स का मामला
बिचौलिए संजय भंडारी और रॉबर्ट वाड्रा का कनेक्शन ? सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गांधी परिवार के इनकम टैक्स का मामला
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ-साथ आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी है, जिसमें उनके आयकर आकलन को केंद्र को हस्तांतरित करने को चुनौती दी गई है। सर्कल को 13 दिसंबर तक कर चोरी की जांच करने का काम सौंपा गया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के उन्हें राहत देने से इनकार करने के आदेश के खिलाफ उनकी याचिकाओं पर अभी तक नोटिस जारी नहीं किया गया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि औपचारिक नोटिस जारी करना अनावश्यक है, और आयकर विभाग कोई अंतिम मूल्यांकन आदेश पारित नहीं करेगा। पीठ ने आईटी विभाग को अगली सुनवाई की तारीख 13 दिसंबर को संबंधित फाइल लाने को कहा।

गांधी परिवार के सदस्यों, उनसे जुड़े ट्रस्टों और आप ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 26 मई के आम आदेश का विरोध किया, जिसने कर चोरी की जांच करने के लिए अधिकृत उनके आईटी आकलन को सेंट्रल सर्कल में स्थानांतरित करने के आयकर विभाग के फैसले के खिलाफ उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं।  गांधी परिवार ने हथियार डीलर संजय भंडारी से संबंधित आकलन वर्ष 2018-19 के लिए उनके मामलों को सेंट्रल सर्कल में स्थानांतरित करने के प्रधान आयुक्त (आयकर) के जनवरी 2021 के आदेश को चुनौती दी थी। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में भारत में वांछित भंडारी पर प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा के साथ व्यावसायिक संबंध रखने का आरोप लगाया गया है, जिन्होंने भगोड़े हथियार डीलर के साथ किसी भी व्यावसायिक संबंध से इनकार किया है। कर चोरी की जांच करने के लिए अधिकृत सेंट्रल सर्कल, तलाशी के दौरान आईटी विभाग की जांच शाखा द्वारा एकत्र किए गए सबूतों को अपने कब्जे में ले लेता है।

26 मई को, उच्च न्यायालय ने कहा कि उसका मानना ​​है कि याचिकाकर्ताओं के मूल्यांकन को (आईटी) अधिनियम की धारा 127 के तहत पारित आदेशों के माध्यम से कानून के अनुसार सेंट्रल सर्कल में स्थानांतरित कर दिया गया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने "गुणों के आधार पर पार्टियों के बीच विवाद" की जांच नहीं की है और कहा है कि सेंट्रल सर्कल का अधिकार क्षेत्र केवल खोज मामलों तक ही सीमित नहीं है। किसी भी निर्धारिती के पास बिना पहचान वाले मूल्यांकन अधिकारी द्वारा मूल्यांकन किए जाने का कोई मौलिक या निहित कानूनी अधिकार नहीं है।

गांधी परिवार ने कई आधारों पर अपने मामलों को सेंट्रल सर्कल में स्थानांतरित करने का विरोध किया था, जिसमें यह भी शामिल था कि उनका संजय भंडारी समूह के मामलों से कोई लेना-देना नहीं है। आईटी विभाग ने गांधी परिवार और आप द्वारा उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि स्थानांतरण आदेश "बेहतर समन्वय, प्रभावी जांच और सार्थक मूल्यांकन" के लिए जारी किए गए थे, जो प्रशासनिक सुविधा और तात्कालिकता को दर्शाता है।

 किस बात पर रोक लगवाने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हैं गांधी परिवार ?

बता दें कि, आयकर विभाग ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, यंग इंडियन, संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, राजीव गांधी फाउंडेशन और जवाहर भवन ट्रस्ट की जांच में तलाशी और बरामदगी के बाद गांधी परिवार के इनकम टैक्स आकलन को केंद्रीय सर्किल में ट्रांसफर करने का फैसला किया था। मगर, गांधी परिवार की तरफ से इस फैसले को मनमानापूर्ण बताया गया और इसके खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने आयकर विभाग के फैसले को सही ठहराया। अब इसी के खिलाफ सोनिया और प्रियंका गांधी सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं, जहां उन्होंने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। ताकि, गांधी परिवार का इनकम टैक्स आंकलन केंद्रीय सर्किल में न जाए।  

 

क्या है मामला :-

बता दें, 2018-19 का ये मामला आर्म्स डीलर संजय भंडारी (Arms Dealer Sanjay Bhandari) से संबंधित है, जिसे कथित तौर पर प्रियंका गाँधी के पति रॉबर्ट वाड्रा का बेहद खास बताया जाता है। हालाँकि, रॉबर्ट वाड्रा लगातार संजय भंडारी से अपने रिश्तों को नकारते रहे हैं। बता दें कि, संजय भंडारी पर देश के रक्षा सौदों में बिचौलिया बनकर हेरफेर करने का आरोप है और CBI-ED की तरफ से संजय भंडारी के खिलाफ भारत में मनी लान्ड्रिंग के आरोप भी तय किए जा चुके हैं। भंडारी को ब्रिटेन में अरेस्ट किया गया था, फ़िलहाल वो नज़रबंद है, जहाँ से उसे भारत लाने की कोशिशें की जा रही है, ताकि ये पता लगाया जा सके कि, उसने किसके साथ मिलकर या किसके संरक्षण में आकर रक्षा सौदों में हेरफेर की है।  

इसके साथ ही रॉबर्ट वाड्रा का कथित सहयोगी संजय भंडारी भारत में गोपनीयता उल्लंघन कानून में वांटेड है। उस पर काला धन सफेद करने और टैक्स चोरी के भी मामले दर्ज हैं, जिन आधार पर उसके प्रत्यर्पण की अपील की गई। फिलहाल वह ब्रिटिश कोर्ट से जमानत पर है। कांग्रेस सरकार के कुछ रक्षा सौदों में करोड़ाें की रिश्वत से संजय भंडारी के सम्बन्ध जानने के लिए उसका प्रत्यर्पण बेहद जरूरी है। इन सौदों के लिए उसके बैंक अकाउंट में करोड़ों रुपया भेजा गया था। भंडारी ने फ्रांसीसी कंपनी थेल्स पर 90 करोड़ का कमीशन न चुकाने का मुकदमा भी कर रखा है।

बता दें कि, भंडारी और रॉबर्ट वाड्रा दोनों टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों का सामना कर रहे हैं। रॉबर्ट वाड्रा 2014 में NDA सरकार के सत्ता में आने के बाद से गुड़गांव और राजस्थान में कुछ अन्य मामलों में जमीन के सौदों के लिए जांच का सामना कर रहे हैं। बाद में वाड्रा का नाम लंदन और दुबई में संपत्तियों की खरीद के लिए संजय भंडारी के खिलाफ जारी जांच के दौरान सामने आया था। ED के अनुसार, भंडारी के कंट्रोल वाली संस्थाओं ने संपत्तियां खरीदीं। इन्हें,बाद में कथित तौर पर वाड्रा से संबंधित संस्थाओं को ट्रांसफर कर दिया गया। इसी मामले की गहन जांच और मामले की तह तक पहुँचने के लिए सभी मामलों को सेंट्रल सर्किल में ट्रांसफर किया गया है, जिसके खिलाफ सोनिया गाँधी और प्रियंका गांधी सुप्रीम कोर्ट पहुंची हुईं हैं, उनका कहना है कि, संजय भंडारी से हमारा कोई लेना-देना नहीं। हालाँकि, भंडारी पर कांग्रेस सरकार के दौरान ही देश के रक्षा सौदों में बिचौलिया बनकर कमीशन खाने का अरोप है, इसलिए आयकर सबको साथ जोड़कर जांच करना चाहता है। 

हालाँकि,  दिल्ली उच्च न्यायालय ने आयकर प्राधिकरण के टैक्स ट्रांसफरिंग असेसमेंट रिपोर्ट को यथावत रखा है। यानी अब प्राधिकरण दस्तावेजों की और गहन जांच करेगा, ताकि मामले की तह तक पहुंचा जा सके। सेंट्रल सर्किल में हुए ट्रांजैक्शन यानी लेनदेन के वास्तविक आदमी को सामने लाया जा सके। अब देखना ये है कि, सुप्रीम कोर्ट से सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी को राहत मिलती है या नहीं ?

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