सिंहस्थ कुंभ: आस्था, विश्वास और सच्ची श्रद्धा का मेला
सिंहस्थ कुंभ: आस्था, विश्वास और सच्ची श्रद्धा का मेला
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धर्म और कर्म के चलते आईये हम आपको इस पावन पर्व से जुडी अनेकों बातों से अवगत कराते है. जिन्हें जानना आपके लिए बहुत ही जरूरी है. आस्था और विश्वास का पावन पर्व कुंभ मेला जो भारत के प्रमुख चार स्थानों हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक- में आयोजित होता है। 

इस बार यह कुंभ मेला उज्जैन में आयोजित होने जा रहा है. इस मेले को हम सिंहस्थ कुंभ मेले के नाम से जानते है, यह महा पर्व प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष में आयोजित होता है. जो भक्तों की सच्ची श्रद्धा का पर्व माना गया है। आप जानते ही होंगे की हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है।

खगोल शास्त्रीयों की गणनाओं के अनुसार बताया जा रहा है. की यह मेला तब प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशी में और वृहस्पति, मेष राशी में प्रवेश करते हैं। इस योग को "कुम्भ स्नान-योग"के नाम से भी जाना जाता हैं.यह एक विशेष मंगलिक समय माना जाता है,

इस पर्व के लिए अत्याधिक व्यवस्थाएं की जा रही है साहू -संतों के लिए उचित स्थान बनाये गए है कुंभ के लिए बहुत सी तैयारियां की जा रही है . सैकड़ों तंबू , शौचालयों, 24 घंटे पेयजल, एलपीजी सिलिंडरों और बिजली की व्यवस्था की जा रही है .

इस महापर्व की इतनी महत्वता है जो मानव जीवन को महान बनाती है. इस पर्व में स्नान करने का का कुछ विशेष ही महत्त्व है , दान धर्म , पूजा , पाठ के चलते इस कुंभ में लोगों के मन में काफी उत्सुकता का भाव नजर आएगा यह कुंभ मेला मानव जीवन को इस संसार सागर से मुक्ति प्रदान का अच्छा पथ है .

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