सिंहस्थ कुंभ स्नान है जीवन की पवित्रता का प्रतीक
सिंहस्थ कुंभ स्नान है जीवन की पवित्रता का प्रतीक
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इस कुंभ को सबसे बड़े शांतिपूर्ण व धार्मिक सम्मेलन के रूप में जाना जाता है। यह एक ऐसा विशाल महापर्व है जिसमें कई अखाड़ों के साधु और लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस कुंभ को धार्मिक वैभव और विविधता का प्रतीक भी माना जाता है। 

इस कुम्भ मेले में ही लाखों भक्तो और संतों की सच्ची श्रद्धा देखने को मिलती है. यह कुम्भ मेला सच्ची आस्था व भक्ति भाव से परिपूर्ण दिखाई देता है . इस कुंभ मेले का आयोजन भारत देश में चार स्थान हरिद्वार, इलाहाबाद (प्रयाग), नासिक और उज्जैन में होता है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत के कुंभ से इन चारों स्थानों पर अमृत की कुछ बूंदें गिर गई थीं। कुंभ की अवधि में इन पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से प्राणी मात्र के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इस भारत वर्ष में गंगा, शिप्रा, सरस्वती और नर्मदा आदि ऐसी अनेक नदियां हैं, जो पवित्र मानी जाती हैं। ना तो मैली होती हैं और ना ही इनका जल कभी अशुद्ध होता है। उज्जैन में मां शिप्रा का पौराणिक महत्व है। आप यदि इस शिप्रा में स्नान करते है .तो आपके जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते है साथ ही साथ आपका आने वाला जीवन सुखद व्यतीत होगा .

भारत वर्ष की ये नदियां स्थिर हों या प्रवाहमान, हिंदुओं की पूर्ण आस्था इनसे जुड़ी हुई है, इसलिए कोई भी इनका अपमान न करे। भारत देश में इन नदियों की बहुत ही अधिक महत्वता है ये व्यक्ति के तन के साथ ही साथ मन को भी पवित्र बनाती है . 

अब यदि इस आने वाले 2016 सिंहस्थ कुम्भ में आप पहुंचकर वंहा आयोजित होने वाले विशेष स्नानों का लाभ उठाना चाहते है तो आप वहां अवश्य रूप से पहुंचे और अपने जीवन में धर्म कर्म को अपनाते हुए उसे महान बनायें शासन ने इस कुम्भ मेले के लिए अनेकों तरह की व्यवस्थाओं को  बढ़ापा दिया है. जिससे व्यक्ति को किसी भी तरह की कोई समस्या न आये चाहे वह स्नान का क्षेत्र हो या अन्य.इस सिंहस्थ कुम्भ में स्नान की बहुत ही अधिक महत्वता है 

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