साइंटिफिक-एनालिसिस जैन धर्म का बढ़ता दायरा नई व्यवस्था निर्माण की दहलीज पर पहुँचा संत समाज राष्ट्रीय सम्बोधनों में विज्ञान के माध्यम से समाज व व्यवस्था में बदलाव की बातें राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री करते आये है परन्तु जैन समाज के श्रमण संघ ने मार्च - 2015 में इंदौर के बहद साधु सम्मलेन में हजारो संत साध्वियो और लाखो श्रधुलाओ के मध्य इस "वैज्ञानिक प्रबंधन" के सफल प्रयोग को असली जमा पहनाया था.
इसी सर्वव्यापक प्रयोग के आधार पर देश में रह रहे 4451753 जैन समाज के लोग जो 2278097 पुरुष एवं 2173656 महिलाओ के जुड़ने से बना है उनके करीबन 9132 मूर्तिपूजक, 3932 स्थानकवासी, 1475 दिगंबर व 725 तेरापन्ति साधु-साध्वी से 15264 का बना संत समाज अब नई व्यवस्था के निर्माण की दहलीज पर आ पहुँचा है.
संथारे व पर्युषण पर्व के समय जानवरो के क़त्ल के मामले से संगठित होकर मौन जुलुस के माध्यम से शांतिप्रिय रूप से अपनी बात रखने वाले जैन समाज से देश-दुनिया के सभी धर्मो के अनुयायियों को भी उम्मीद जगी है कि ये तोड़-फोड़, मार-काट, बन्द, सामाजिक द्वेष, भड़काऊ बयानबाजी, भविष्य के बड़े-बड़े सपनो व लोगो को उनके कर्त्तव्य याद दिलाने के लम्बे चौड़े भाषणो और फॉरवर्ड संदेशो से अलग मौन रहकर कुछ नया कर बतायेगे ताकि उनका भी मानवीय, नैतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, पारिवारिक रूप से विकास हो सके. सामूहिक धार्मिक भोजन व आगे सामाजिक एवं पारिवारिक भोजन में झूठे से बर्बाद होने वाले अन्न को रोकने कि नई व्यवस्था से सभी को सिर्फ और सिर्फ फायदे ही होंगे जिनमे से कुछ इस प्रकार है |
* सभी धर्मो के संत-साध्वियो, गुरुओ, मौलवियो पर अज्ञानता वश चढ़ रहे पाप से मुक्ति मिलेगी
* सामाजिक संगठनो को अतिरिक्त्त आय व अपने खर्चो में हजारो रुपये की बचत होगी
* प्रत्येक परिवार को अपने उत्सवों में बिना खर्च के हजारो रुपये की बचत
* सामाजिक एवं धार्मिक कामो में असामाजिक लोगो से सुरक्षा
* दुनिया में करीबन 113 अरब टन भोजन प्रतिवर्ष बर्बाद होने वाले भोजन को जरुरत मन्द लोगो तक पहुंच पायेगा
* शाकाहारी भोजन बढ़ने से मांसाहारी लोगो की संख्या में कमी आयेगे ..... जीव दया हेतु
* प्रतिवर्ष 923 अरब लोगो को भूखा सोने से रोकेगा
* 35 हजार बच्चो को भूख की आग से खाक होने से बचायेगा
* 87 करोड़ लोगो को प्रतिवर्ष कुपोषण से बचायेगा
* भारत में प्रतिवर्ष 250 मिलियन टन भोजन उत्पादन के 40 फीसदी के बर्बाद होने को रोकेगा
* हर्ष उल्लास के कार्यकर्मो में जरूरत मन्द लोगो के दुआए मिलेगी
* नई पीढ़ी के लोगो व पूरी मानव जाति में अच्छे संस्कार के निर्माण हेतु
* सभी धर्मो के देवी-देवताओ, गुरुओ, बाबाओ, फकीरो, एवं खुदा के बनाये आदर्शो पर लोगो की जिंदगी चलाने हेतु
* डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को कम्पनियो व धनवान लोगो के अतिरिक्त्त आम आदमी व व्यवस्था निर्माण से जोड़ने हेतु क्या है
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