जन्म सखी सिक्ख धर्म की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है
जन्म सखी सिक्ख धर्म की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है
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जन्म सखी यानि जन्म कहानियां, वह लेखन है जो पहले सिख गुरु नानक देव जी की जीवनी के रूप में प्रचलित हैं। यह रचनाएं गुरु नानक जी की मृत्यु के बाद अलग-अलग समय और चरणों पर लिखी गईं। भाई बाले वाली जन्म सखी सबसे प्रचलित जन्म सखी है। यह बाला संधू द्वारा संपत वर्ष 1592 में लिखी गई थी। यह जन्म सखी आमतौर पर गुरु नानक देव जी के जीवन की आधिकारिक खाते के रूप में स्वीकार की गई है। हालांकि इस किताब का समय-समय पर संपादन किया गया है इसलिए इसकी प्रामाणिकता कभी सिद्ध नहीं हो सकी है।

भाई बाला जनम सखी के पाठ 

* गुरु नानक का जन्म।
* बच्चों के साथ खेलना।
* पारिवारिक पंडित, डॉक्टर, ब्रह्म खान लोधी के साथ सखी।
* सच्चा सौदा, बगदाद, कलकत्ता, श्रीलंका, रामेश्वरम की सखी।

अन्य प्रमुख जनम सखी

* भाई बाला जन्म सखी
* विलायत वाली जनम सखी
* हाफिज़ाबाद वाली जनम सखी
* भाई मनी सिंह जनम सखी
* मिहरबान जनम सखी

जनम सखी के मिथ्य

जनम सखी के लेखन में सभी लेखकों की दिलचस्पी नानक के बचपन और उनकी यात्राओं पर ही रही। पुरानी जन्म सखियों में जहां नानक के बगदाद और मक्का की यात्रा के बारे में बखान है वहीं नई जनम सखियों में चाइना और रोम की यात्राओं के बारे में भी बताया गया है। पुरानी जनम सखियों के मिथ्याकरण और नई जनम सखियों की संरचना के कारण सिख धर्म के तीन महान संप्रदायों का जन्म हुआ जो हैं- उदासी, मीना और हन्दालीस।

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