नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी बजट सत्र के दौरान रणनीति के तहत काम करने वाली मोदी सरकार की छवि ख़राब करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार के भूमि अधिग्रहण व रीयल स्टेट से जुड़े बिलों में पेंच फंसाने के बाद कांग्रेस बजट सत्र के आखिरी हफ्ते में अपनी पूरी ताकत लगाने जा रही है। इसकी अगुवाई सोनिया और राहुल गांधी खुद करेंगे। इसके तहत बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लोकसभा में "संस्थागत तंत्र की असफलता" पर सरकार के साथ दो-दो हाथ करेगी।
इसके बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को रियल स्टेट बिल पर सरकार को घेरेगे। बजट सत्र के अंतिम सप्ताह सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी मैदान में उतरकर सिर्फ कांग्रेस ही नहीं पूरे विपक्ष को लामबंद करने की भूमिका में आएंगी। दरअसल, राहुल गांधी हमलावर तो हैं, लेकिन क्षेत्रीय दलों को अपने पीछे खड़ा करने में अभी तक सफल नहीं हो सके हैं। इसीलिए, बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सरकार को मुख्य सतर्कता आयुक्त, लोकपाल, मुख्य नियंत्रक व महालेखा परीक्षक जैसे पदों पर नियुक्ति को लेकर सरकार की ओर से की जा रही देरी पर सवाल खड़े करेंगी।
पार्टी इसको लेकर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव लेकर आएगी। ध्यान रहे कि संप्रग सरकार के समय सीवीसी की नियुक्ति के समय तत्कालीन लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने विरोध दर्ज किया था। इस मुद्दे पर संप्रग की अदालत से लेकर जनता के बीच तक खासी फजीहत हुई थी। इससे पहले सोनिया भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर संयुक्त विपक्ष के मोर्चे का नेतृत्व कर चुकी हैं। सोनिया की ताजा कोशिश को सत्र के अंतिम दिनों में मोदी सरकार को कुछ हासिल करने से रोकने के साथ विपक्ष के मजबूत होने का संकेत देने की कवायद माना जा रहा है। गौरतलब है कि लोकसभा में कांग्रेस के महज 44 सदस्य हैं। जबकि, राज्यसभा में पार्टी सहयोगियों के साथ बहुमत में है।
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