नवग्रह पूजा या दोष शांति का कामनासिद्धि के लिये विशेष महत्व बताया गया है. खासतौर पर ज्योतिष शास्त्रों में इन ग्रह-नक्षत्रों की चाल और दृष्टि सांसारिक जीवन में लाभ-हानि का कारण मानी गई है. नवग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु व केतु का अच्छा-बुरा असर जीवन में दरिद्रता या ऐश्वर्य को नियत करने वाला माना गया है.
यही कारण है कि शास्त्रों में ग्रह उपासना लिए एक ऐसा उपाय भी बताया गया है, जो सभी ग्रह दोषों से मुक्त करने के साथ उनके बुरे असर से मिलने वाले रोग, दु:ख, दरिद्रता या नाकामियों को दूर कर जीवन भर ग्रह पीड़ा से मुक्त रखने वाला भी होता है.
यह उपाय है हर शनिवार की शाम पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ विशेष ग्रह पीड़ा मुक्ति मंत्र का स्मरण. देव वृक्ष पीपल की पूजा ग्रह दोष व दरिद्रता का अंत करने वाली मानी गई है.
जानिए इससे जुड़ी आसान विधि -
1-शनिवार की शाम पीपल की जड़ में गाय का दूध मिला जल, चंदन व काले तिल अर्पित करें. मिठाई का भोग लगाएं.
2-पीपल के नीचे कुश आसन पर बैठ गोघृत का दीप व धूप जलाएं और नीचे लिखें मंत्र विशेष का 108 बार रुद्राक्ष या चन्दन के दानों की माला से जप करें. इस मंत्र में अमुक शब्द के स्थान पर ग्रह पीड़ित परिजन, स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति का नाम लें.
ॐ नमो भास्कराय सर्व ग्रहणां पीड़ा नाश कुरु कुरु स्वाहा.
3-मंत्र जप के बाद त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आरती कर मंगल की कामना करें.
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