नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भारतीय आयुध निर्माण सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए एक सहिष्णु, सामंजस्यपूर्ण और शांतिपूर्ण भारत के निर्माण पर जोर डाला और कहा कि इसमें प्रत्येक नागरिक की सहभागिता जरुरी है।
सरकारी अधिकारियों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और विचारकों को एक ऐसे भारत के निर्माण का प्रयास करना चाहिए, जहां सभी नागरिकों को एक बेहतर जीवन मिले। आगे उन्होने अपने भाषण में भविष्य के भारत की कल्पना करते हुए कहा कि स्वच्छ, स्वस्थ, डिजिटल रुप से सशक्त, शिक्षित, कुशल, सहिष्णु एवं शांतिपूर्णभारत हो, जहां प्रत्येक नागरिक खुद को इस देश का हिस्सा मानें।
सरकार ने इस दिशा में कई सार्थक कदम उठाए है। भारत के भविष्य को उज्जवल बताते हुए मुखर्जी ने कहा कि अब यह दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। पिछले वित वर्ष में दुनिया भर में मंदी होने के बावजूद हमने सबसे अधिक विकास दर हासिल की।
लेकिन उन्होने इस बात पर भी जोर दिया कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें शिक्षित होना होगा। उन्होने कहा कि भारतीय आयुध निर्माण सेवा ने रक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए लक्ष्य 13500 करोड़ के बदले में 14132 करोड़ का लक्ष्य हासिल किया है। संस्थान ने उन्नत हथियार और गोला बारुद का निर्माण कर देश की सेना को मजबूती दी है।