जन प्रिय पूर्व राष्ट्रपति  एपीजे अब्दुल कलाम
जन प्रिय पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम
Share:

राज नेताओं में बिरले ही ऐसे होते हैं, जिन्हें देश की जनता दिल से पसंद करती है. इसमें जन्नतनशीं पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का नाम शुमार किया जा सकता है. मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ कलाम ने अपने जीवन में जो सादगी और विनम्रता की जो मिसाल कायम की उसने देशवासियों पर अमिट छाप छोड़ी .देश के इन जनप्रिय राष्ट्रपति का आज जन्म दिन है. आइये परिचित होते हैं उनके जीवन के कुछ पहलुओं से .

15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में जन्मे कलाम के पिता जैनुलाब्दीन नावों को किराए पर देकर अपनी जीविकोपार्जन करते थे.अल्प शिक्षित पिता ने अपने भरे -पूरे परिवार को जो अच्छे संस्कार दिए, वे जीवन में बहुत काम आए. निर्धनता से जूझ रहे परिवार को मदद देने के लिए अख़बार तक बांटे. कलाम की प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम में हुई. कालांतर में कलाम ने 1950में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में डिग्री प्राप्त की . बाद में उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये 1962 में भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में शामिल हुए.

भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी 3 के निर्माण में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने अपने वैज्ञानिक जीवन में कई उपब्धियां हासिल की.उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ.

उल्लेखनीय है कि एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने उन्हें अपना राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया. 18 जुलाई 2002 को कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत  से भारत का राष्ट्रपति निर्वाचित किया गया.25 जुलाई 2002 को हुए शपथ ग्रहण समारोह में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल हुए.

व्यक्तिगत ज़िन्दगी में बेहद अनुशासनप्रिय कलाम की सादगी ने सबका मन मोह लिया.उनकी जीवनी 'विंग्स ऑफ़ फायर' भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करती है.उन्होंने अपनी पुस्तक इण्डिया 2020 में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया.

राष्ट्रपति पद छोड़ने के दौरान उनकी निस्पृहीता ने लोगों का दिल जीत लिया. चंद पुस्तकों के साथ वे राष्ट्रपति भवन से रवाना हो गए.राष्ट्रपति पद से निवृत्त होने के बाद कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग, अहमदाबाद, इंदौर व बैंगलोर के मानद फैलो, व एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए. 27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में एक व्याख्यान दे रहे थे, तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे इस दुनिया को अलविदा कह गए.

यह भी देखें

दिसंबर में भारत आएँगे फ़्रांस के राष्ट्रपति

रूस के राष्ट्रपति को गिफ्ट में मिला कुत्ता

 

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -