यह मंदिर साँवेर नाम की जगह पर स्थापित है इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं. मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है. इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें हनुमानजी की उलटी मूर्ति स्थापित है.
कहा जाता है कि जब रामायण काल में भगवान श्री राम व रावण का युद्ध हो रहा था, तब अहिरावण ने एक चाल चली. उसने रूप बदल कर अपने को राम की सेना में शामिल कर लिया और जब रात्रि समय सभी लोग सो रहे थे,तब अहिरावण ने अपनी जादुई शक्ति से श्री राम एवं लक्ष्मण जी को मूर्छित कर उनका अपहरण कर लिया. वह उन्हें अपने साथ पाताल लोक में ले जाता है.
जब वानर सेना को इस बात का पता चलता है तो चारों ओर हडकंप मच जाता है हनुमान जी भगवान राम व लक्ष्मण जी की खोज में पाताल लोक पहुँच जाते हैं और वहां पर अहिरावण से युद्ध करके उसका वध कर देते हैं तथा श्री राम एवं लक्ष्मण जी के प्राँणों की रक्षा करते हैं. यही वह स्थान है,
जहाँ से हनुमानजी ने पाताल लोक जाने हेतु पृथ्वी में प्रवेश किया था. जहाँ से हनुमान जी पाताल लोक की और गए थे। उस समय हनुमान जी के पाँव आकाश की ओर तथा सर धरती की ओर था जिस कारण उनके उल्टे रूप की पूजा की जाती है स्थापित है इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं.