सब्सिडी खत्म नहीं करेगी सरकार, उसे सही लक्ष्य तक पहुँचाना है
सब्सिडी खत्म नहीं करेगी सरकार, उसे सही लक्ष्य तक पहुँचाना है
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नई दिल्ली : देश को विकास के मार्ग पर अग्रसर करने के वादे के साथ सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार सब्सिडी समाप्त नही करेगी बल्कि उसमें थोड़ा होमवर्क करके जरुरत मंद लोगों तक पहुंचाएगी। साथ ही मोदी ने संसाधनों के आवंटन में दक्षता लाने औऱ नागरिकों की प्रगति के लिए संभावनाएं पैदा करने का वादा भी किया।

इकोनॉमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस मिट में मोदी ने और क्या-क्या कहा ?

1.मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सभी तरह की सब्सिडी अच्छी हैं। मेरा कहना है कि इस तरह के मामलों में कोई सैद्धांतिक स्थिति नहीं अपनाई जा सकती। हमें प्रगतिशील होना चाहिये। हमें बेकार सब्सिडियों को समाप्त करना चाहिये, चाहे वह सब्सिडी है या नहीं है।

2.कुछ सब्सिडी ऐसी हैं जो कि गरीब और जरूरतमंद के लिये जरूरी हो सकती हैं, उन्हें सफल होने के लिये उचित मौका मिलना चाहिये। इसलिये मेरा उद्देश्य सभी सब्सिडी को समाप्त करना नहीं है बल्कि उन्हें तर्कसंगत और सीधे लक्ष्य तक पहुंचाना है।

3.मोदी ने उद्दोगपतियों के संबंध में कहा कि उद्योगों को जब कुछ दिया जाता है तो उसे प्रोत्साहन अथवा आर्थिक सहायता कहा जाता है जबकि किसानों को दी गई सहायता को अपमानजनक तरीके से सब्सिडी कहा जाता है।

4.हमें अपने आप से यह पूछना चाहिये कि भाषा का यह अंतर क्या हमारी प्रवृति को भी दर्शाता है? ऐसा क्यों होता है कि जब कोई सब्सिडी, संपन्न लोगों को दी जाती है तो उसका चित्रण बड़े ही सकारात्मक तरीके से किया जाता है?

5. करदाता कंपनियों को दिये जाने वाले विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहनों से 62,000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होता है जबकि लाभांश और शेयर बाजारों में होने वाले शेयर कारोबार पर दीर्घकलिक पूंजीगत लाभ को आयकर से पूरी तरह से छूट मिली हुई है। हालांकि, ये लोग गरीब नहीं हैं जो कि यह कमाई करते हैं।

6.दोहरे कराधान से बचने की संधियां कुछ मामलों में दोनों तरफ कर नहीं चुकाने की तरफ फलीभूत होती हैं। उन्होंने कंपनियों को दिये जाने वाले प्रोत्साहन में 62,000 करोड़ रुपए के राजस्व नुकसान का जो आकलन किया है, दोहरे कराधान की छूट से होने वाला लाभ इसमें शामिल नहीं है।

7.जो लोग सब्सिडी में कटौती की बात करते हैं वह इस बारे में कोई जिक्र नहीं करते हैं। शायद इन रियायतों को निवेश के लिये प्रोत्साहन के तौर पर माना जाता है। मुझे इसमें आश्चर्य नहीं होगा यदि उर्वरक सब्सिडी को कृषि उत्पादन के लिये प्रोत्साहन का नया नाम दिया जाता है, कुछ विशेषज्ञ इसे अलग तरीके से देखेंगे।

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