नईदिल्ली। लोकप्रिय शायर मुनव्वर राणा द्वारा हाल ही में कहा गया कि यदि कांग्रेस सहनशील होती तो देश का विभाजन नहीं होता। राणा द्वारा यह भी कहा गया कि जिस देश में वे जन्मे हैं उस देश का बंटवारा नहीं होता। बंटवारे के चलते मुसलमान हार गया। उन्हें इस देश पर गर्व है। मुनव्वर राणा हाल ही में जागरण फोरम के समारोह में समिल्लित हुए। उन्होंने कहा कि देश ने उन्हें अपना समझा। जिसके कारण उनका परिवार पाकिस्तान नहीं गया। उनका कहना था कि पाकिस्तान के बंटवारे से पाकिस्तान विजयी हो गया। मगर मुसलमान पराजित हो गया।
साहित्यकारों द्वारा अवार्ड वापस किए जाने और देश की परिस्थितियों को लेकर शायर मुनव्वर राना ने कहा कि साहित्यकारों के रक्त समूह भले ही अलग होते हैं मगर उनके आंसू एक ही होते हैं। मुनव्वर यहां पर केंद्र सरकार के पक्ष में दिखाई दिए। दरअसल उन्होंने कहा कि दादरी कांड पर केंद्र सरकार से किसी तरह की कोई शिकायत उन्हें नहीं रही। उन्होंने अपनी ओर से सरकार को सुझाव दिया था।
उल्लेखनीय है कि देश में बढ़ती असहिष्णुता और दादरी कांड के मसले पर मुनव्वर राणा ने विरोध किया था। राणा भी अवार्ड लौटाने वाले साहित्यकारों में शामिल थे। हालांकि बाद में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता की पेशकश भी की थी। मालिनी अवस्थी के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बंटने के बाद पाकिस्तान तो अलग हो गया। पाकिस्तान जीत गया मगर मुसलमान हार गया।
उन्होंने कहा कि देश में उन्हें अपनाया जिसके कारण वे और उनका परिवार पाकिस्तान नहीं गया। साहित्यकार और लेखक तारिक फतेज ने इस मामले में कहा कि भारत विभाजन 5 हजार साल के इतिहास की सबसे बड़ी विडंबना रही है। उनका कहना था कि पाकिस्तान के चलते भारत में धु्रवीकरण होता है। साहित्यकार अमीष द्वारा यह भी कहा गया कि कुछ घटनाओं के लिए सवा सौ करोड़ की आबादी पर प्रश्न करना बिल्कुल गलत है।