मोदी से लिए अधिकांश नेपालियों में खटास, चीन को बताया मददगार
मोदी से लिए अधिकांश नेपालियों में खटास, चीन को बताया मददगार
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काठमांडू : भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने 1 साल पूर्व ही नेपाल के साथ 10 समझौते किये थे और और दोनों देशों के बीच बस सेवा शुरू करके नेपाल के लोगों का दिल जीता था लेकिन वाही अब लोगो के मन में खटास भर आई है। भारतीय सीमा से लगे देश के प्रवेश मार्ग पर फंसे ज़रूरी सामानो के ट्रकों के कारण जरूरी चीजों की भारी किल्लत सह रहे स्थानीय नागरिकों से बात करके इसका कारण सहज ही समझ आ जाता है।

काठमांडू के एक दुकानदार दीपक के मुताबिक हमारे लंबे समय के मित्र भारत द्वारा यह एक स्वप्रबंधित आर्थिक नाकेबंदी है। शाह ने बताया कि नई दिल्ली नेपाल सरकार के साथ बदला ले रही है, क्योंकि यहां एक ऐसे संविधान को मंजूरी दी गई है, जिसे भारत पसंद नहीं करता। शाह ने कहा, मोदी सरकार नए संविधान को हमारी सीमा पर बसे एक भारतीय जातीय समुदाय मधेसियों के प्रति भेदभापूर्ण मानती है।

वाहन चालक प्रदीप सपकोटा ने चीन को अपना नया मित्र बताते हुए कहा, अब हम चीन से अपना ईंधन और राशन मंगाएंगे। अप्रैल में नेपाल में आए भूकंप में भी भारत से ज्यादा चीन ही हमारा भरोसेमंद मित्र साबित हुआ था। जापान में मोदी के भाषण पर टिप्पणी करते हुए कॉलेज छात्र विकास श्रेष्ठा ने कहा कि नेपाल और जापान में मोदी के भाषण में उनके कूटनीतिक रंग दिखे थे।

विकास ने कहा, अगस्त 2014 में काठमांडू में मोदी ने कहा था कि भगवान बुद्ध नेपाल में जन्मे थे, लेकिन एक महीने बाद जापान यात्रा के दौरान मोदी ने कहा कि भारत बुद्ध की भूमि है। नेपाल में 20 सितम्बर को नया संविधान बनने के बाद से पेट्रोल पम्पों पर लंबी कतारें, जरूरी चीजों की कमी के कारण कीमतों में वृद्धि, सार्वजनिक परिवहन की समस्या पैदा हो गई है।

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