मोदी ने सिंगापुर के व्यापारियों को संबोधित किया
मोदी ने सिंगापुर के व्यापारियों को संबोधित किया
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सिंगापुर : देश में कई नियामकीय और कराधान मुद्दे लंबित रहने की बात स्वीकारते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सिंगापुर के निवेशकों को भारत में निवेश के लिए लुभाने की भरसक कोशिश की। मोदी ने कहा कि जब वे भारत आएंगे, तो वहां, वह उनका हाथ थामने के लिए मौजूद रहेंगे। मोदी ने कहा, पिछले कुछ महीनों में भारत में विदेशी निवेशकों की रुचि काफी बढ़ी है। कई नियामकीय और कराधान संबंधित मुद्दे हालांकि उनके उत्साह पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। हमने कई दीर्घावधि चिंताओं को दूर करने के लिए ठोस फैसले किए हैं। मोदी यहां भारत सिंगापुर आर्थिक सम्मेलन में सिंगापुर के कारोबारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टीन लागार्दे ने भारत को अत्यधिक संभावनाओं वाली जगह (ब्राइट स्पॉट) बताया है।

उन्होंने कहा, यह संभावना खुद आप तक पहुंचने का मैंने इंतजार नहीं किया और मैं यहां आपको आमंत्रित करने आया हूं। मैं यह आश्वस्त करने भी आया हूं कि मैं वहां आपका हाथ थामने के लिए मौजूद रहूंगा। मोदी ने यह भी उम्मीद जताई कि वस्तु एवं सेवा कर 2016 में लागू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि देश की विकास दर गत वर्ष 7.3 फीसदी रही थी। और विश्व बैंक ने इस साल और अधिक विकास दर की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि सिंगापुर भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत बन गया है। उन्होंने कहा, हाल में सिंगापुर में भी भारतीय निवेश बढ़ा है। मोदी ने कहा, आप में सटीकता अपनाने की आदत है। भारत में विस्तार की संभावना है। आप ऊध्र्वगामी विकास चाहते हैं।

भारत का विकास ऊध्र्वगामी और क्षतिज दोनों ही प्रकार का है। आप एक आकर्षक इन्क्यूबेटर हैं। भारत एक विशाल प्रयोगशाल है। इसलिए सिंगापुर और भारत कई क्षेत्रों में मिलकर काम कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, हम कर व्यवस्था को पारदर्शी और सरल बनाने के लिए कठिन मेहनत कर रहे हैं। हम यह भी कोशिश कर रहे हैं कि अच्छे निवेशकों और ईमानदार करदाताओं को कर संबंधी मामलों में तेजी से और सही फैसला मिले। मोदी ने कहा कि इस साल देश में एफडीआई में 40 फीसदी वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि भारत राष्ट्रीय निवेश और असंरचना कोष स्थापित कर रहा है। मोदी ने कहा, हम कर मुक्त अवसंरचना बांड भी ला रहे हैं। इससे अवसंरचना के लिए लंबी अवधि तक वित्त सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा, अवसंरचना के लिए हमने कुछ देशों में रुपये मूल्य वाले बांड जारी करने का भी फैसला किया है। सिंगापुर उनमें से एक हो सकता है। हम इसके लिए सिंगापुर से बात करने को उत्सुक हैं।

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