बिहार : मोबाइल कंपनियां आज कल सेवाओं के नाम पर केवल उपभोक्ता को परेशान करने में लगी है. कंपनियों को केवल अपने सिम कार्ड बेचने से मतलब रह गया है चाहे वो फिर सुविधा दे पाए या नहीं इससे इन्हें कोई लेना-देना नहीं है. अभी कॉल ड्रॉप पर भी लगाम नहीं लग सकी है जिस कारण कॉल भले ही कुछ सेकेंड में कट जाये. लेकिन कंपनियां पूरे मिनट का पैसा बसूलती है. ट्राइ के CAG (बिहार-झारखंड) J. k. भगत का इस मामले में कहना है कि कॉल ड्रॉप की परेशानी का मुख्य कारण है टावरों की कमी. जिस कारण कॉल का ट्रैफिक काफी बढ़ गया है.
उन्होंने बताया कि बिहार में ही BTS की संख्या 33,055 है. जबकि टावर की संख्या 12,000 से भी कम है. एक टावर में तीन से पांच कंपनियों का BTS लगा हुआ है, जिससे काम चल रहा है. जबकि प्रदेश में उपभोक्ताओं की संख्या 6,07,33,862 है. निजी कंपनियां पैसा बचाने के लालच में तकनीक में सुधार नहीं कर रही.
ट्राइ की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार देश में कॉल ड्रॉप के मामलों में लगभग पांच गुना का इजाफा हुआ है. मानक के अनुसार कॉल ड्रॉप 2 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. जबकि बिहार में ये 5 प्रतिशत पर पहुंच गया है.
कंपनियों के BTS की संख्या(1 अप्रैल, 2015 तक)
कंपनी BTS
एयरसेल 2687
एयरटेल 9070
बीएसएनएल 3068
आइडिया 5516
रिलायंस 3398
टाटा 95
यूनिनॉर 2317
वीडियोकॉन 12
वोडाफोन 6892
कुल 33055