एक बार गुरु नानक देव जी से किसी ने पूछा कि गुरु के दर्शन करने से क्या लाभ होता है ? तब गुरु जी ने कहा कि इस रास्ते पर चला जा, जो भी सब से पहले मिले उस से पूछ लेना। वह व्यक्ति उस रास्ते पर गया तो उसे सब से पहले एक कौवा मिला, उसने कौवे से पूछा कि गुरु के दर्शन करने से क्या होता है ? उसके यह पूछते ही वह कौवा मर गया।
वह व्यक्ति घबराया हुआ वापिस गुरु जी के पास आया और सब हाल बताया। अब गुरु ने कहा कि फलाने घर में एक गाय ने एक बछड़ा दिया है, उससे जाकर यह सवाल पूछो, वह आदमी वहां पहुंचा और बछड़े के आगे भी यही सवाल किया तो वह भी मर गया। वह आदमी फिर से बहुत अधिक घबराया ओर भागा भागा गुरु जी के पास आया और सारा हाल बताया। अब गुरु जी ने कहा कि फलाने घर में जा, वहां एक बच्चा पैदा हुआ है, उस से यही सवाल करना.... वह आदमी बोला के अगर गुरू जी वह बच्चा भी मर गया तो ? तब फिर गुरु जी ने कहा कि तेरे सवाल का जवाब वही देगा।
अब वह आदमी उस घर में गया और जब बच्चे के पास कोई ना था तो उसने पूछा कि गुरु के दर्शन करने से क्या लाभ होता है ? वह बच्चा बोला कि मैंने खुद तो नहीं किये लेकिन तू जब पहली बार गुरु जी के दर्शन करके मेरे पास आया तो मुझे कौवे की योनी से मुक्ति मिली और बछड़े का जन्म मिला.. और जब तू दूसरी बार गुरु के दर्शन करके मेरे पास आया तो मुझे बछड़े से मुक्ति मिली और इंसान का जन्म मिला.. सो ये अब ये तुझे सोचना हे की कितना बड़ा हो सकता है गुरु के दर्शन करने का फल, फिर चाहे वो दर्शन आंतरिक हो या बाहरी।