धार्मिक एवं सामाजिक एकता के इस पर्व होली के होलिका दहन के लिए हर चौराहे व गली-मोहल्ले में गूलरी, कंडों व लकड़ियों से बड़ी-बड़ी होली सजाई जाती हैं. वहीं बाजारों में भी होली की खूब रौनक दिखाई पड़ती है.
1-होली पूजन महोत्सव धुलेंड़ी के एक दिन पूर्व मनाया जाता है. इस दिन को 'होलिका दहन' कहा जाता है.
2-लकड़ी और कंडों की होली के साथ घास लगाकर होलिका खड़ी करके उसका पूजन करने से पहले हाथ में असद, फूल, सुपारी, पैसा लेकर पूजन कर जल के साथ होलिका के पास छोड़ दें और अक्षत, चंदन, रोली, हल्दी, गुलाल, फूल तथा गूलरी की माला पहनाएं.
3-इसके बाद होलिका की तीन परिक्रमा करते हुए नारियल का गोला, गेहूं की बाली तथा चना को भूंज कर इसका प्रसाद सभी को वितरित किया जाता है. भारतीय संस्कृति में होलिका दहन को होली पूजा माना जाता है, जो एक रस्म... होती है.
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