खाटू श्माम मंदिर लोगों के आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है
खाटू श्माम मंदिर लोगों के आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है
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गुलाबी नगरी जयपुर से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर सीकर जिले में स्थित खाटू श्माम मंदिर लोगों के आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। मंदिर में भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक की श्याम यानी कृष्ण के रूप में पूजा की जाती है। कहा जाता है कि मंदिर में जो भी जाता है, उसे श्यामबाबा का हर दिन नया रूप देखने को मिलता है। श्यामबाबा का धड़ से अलग शीष और धनुष पर तीन वाण की छवि वाली मूर्ति यहां स्थापित है। 

कई नामों से पुकारे जाते हैं
खाटू श्यामजी महाभारत के बर्बरीक के रूप हैं, जिन्हें भगवान श्री कृष्ण ने खाटू श्याम नाम दिया। मान्यता है कि श्रीकृष्ण कलयुगी अवतार के रूप में खाटू श्यामजी खाटू में विराजित हैं। इन्हें कलयुग के अवतार, श्याम सरकार, तीन बाणधारी, खाटू नरेश व अन्य नामों से भी पुकारा जाता है।
 
कौन हैं खाटू श्याम
श्याम बाबा की कहानी महाभारत से शुरू होती है। वे पहले बर्बरीक के नाम से जाने जाते थे। वे महान पांडव भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र हैं। बाल्यकाल से ही वे वीर और महान योद्धा थे। उन्होंने युद्ध कला अपनी मां से सीखी। इसके अलावा उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया और तीन अभेध्य बाण प्राप्त किए और तीन बाणधारी का प्रसिद्ध नाम प्राप्त किया। वहीं अग्नि देव ने प्रसन्न होकर उन्हें धनुष प्रदान किया, जो कि उन्हें तीनों लोकों में विजयी बनाने में समर्थ थे। 

हारे का हैं सहारा
महाभारत के युद्ध में मां की आज्ञा लेकर बर्बरीक युद्ध में अर्जुन का साथ देने जा रहे थे तभी मां ने उनसे कहा की तुम उसकी तरफ से युद्ध करोगे जो हार रहा होगा। इधर, भगवान श्री कृष्ण सब कुछ जान लिया और उन्होंने ब्राह्मण के रूप में उनकी परीक्षा ली उनसे पूछा की तुम्हें तीन बाण प्राप्त हुए हैं और तुम अर्जुन की तरह से लड़ोगे तो कौरव खत्म हो जाएगा और फिर वचन अनुसार कौरव की तरह से लड़ोगे तो ये खत्म हो जाएंगे। इस पर बर्बरीक ने उपाय पूछा कि तो फिर हमें क्या करना चाहिए। कृष्ण ने उनका सिर मांग लिया इस पर उन्होंने अपना सिर भगवान कृष्ण को दे दिया। कृष्ण ने ऐसे बलिदान से प्रसन्न होकर वरदान दिया कि कलियुग में तुम श्याम के नाम से जाने जाओगे, क्योंकि कलयुग में हारे गए का साथ देने वाला एक ही श्याम नाम धारण करने वाला समर्थ है और खाटू नगर तुम्हारा धाम बनेगा। तुम्हारे सिर को खाटू में दफनाया जाएगा। वहीं तुम्हरी मां के वचन अनुसार जो भक्त हार गया हो तुम उसके सहारा बनोगे। 

ऐसे बना खाटू धाम
जानकारी के अनुसार खाटू गांव की स्थापना राजा खट्टवांग ने की थी। वहीं कई विद्वान इसे महाभारत के पहले का मानते हैं तो कई इसे ईसा पूर्व के समय का मानते हैं। मंदिर की आधारशिला 1720 में रखी गई थी। इतिहासकारों की मानें तो 1679 में औरंगजेब की सेना ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था। मंदिर की रक्षा के लिए उस समय कई राजपूतों ने अपना प्राणोत्सर्ग किया था।

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