केस हैं मगर जज नहीं, पेंडिंग पड़े हैं कई केस.....
केस हैं मगर जज नहीं, पेंडिंग पड़े हैं कई केस.....
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नई दिल्ली : देशभर में न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। यह कहा जाता रहा है कि कोर्ट में लंबे समय तक केस पेंडिंग रहते हैं मगर इन पर सुनवाई नहीं होती। कभी जज अवकाश पर चले जाते हैं तो कभी शासकीय अवकाश हो जाता है तो कभी हडताल के चलते कार्रवाई स्थगित हो जाती है। ऐसे में कई प्रकरण लंबित हो जाते हैं। लाॅ कमिशन की 1987 में आई रिपोर्ट में न्यायपालिका में जजों की आवश्यकता का ब्लूपिंट प्रस्तुत किया गया था।

उस वक़्त न्यायपालिका में 7675 न्यायाधीश थे। अर्थात् 10 लाख लोगों पर 10.5 न्यायाधीश थे, लेकिन अब न्यायाधीशों के खाली पदों की संख्या 5 हजार से भी ज़्यादा पर पहुंच गई है। यसब-ऑर्डिनेट जूडिशरी में मौजूदा स्वीकृत पदों की संख्या 20,214 हैं जबकि 24 हाई कोर्ट में जजों के लिए 1,056 पद हैं और करीब 3.10 करोड़ केस पेंडिंग हैं। बता दे कि हाईकोर्ट में करीब 44 फीसदी यानि 462 जजों के पद खाली पड़े हैं। सर्वोच्च न्यायालय में 31 में से 6 पद स्वीकृत खाली हैं।

न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के कोलेजियम सिस्टम और सरकार के बीच चले गतिरोध के कारण खाली पदों को भरने का कार्य अटक गया। दरअसल जूडिशरी में खाली पदों की संख्या को देखते हुए लाॅ पैनल द्वारा 120 रिपोर्ट में खाली पदों की संख्या को बढ़ाकर प्रति 10 लाख लोगों हेतु 50 जज करने का प्रस्ताव रखा गया। 

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